लोकोक्तियां | अर्थ |
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जल मे रहकर मगर से वैर | किसी के आश्रय मे रहकर दुश्मनी मोल लेना |
आ बैल मुझे मार | जान बूझ कर लड़ाई मोल लेना |
अक्ल बड़ी या भैंस | शरीर शक्ति की तुलना बुद्धि की ताकत श्रेष्ठ |
आगे नाथ न पीछे पगहा | सम्पूर्ण रूप से स्वतंत्र |
अधकत गगरी छलकत जाए | शक्ति पाकर अत्याधिक वाचाल होना |
बगल मे छूरी मुँह मे राम | भीतर से बैर ऊपर से मित्रता |
लातों के भूत बातों से नहीं मानते | शैतान समझाने पर वश मे नहीं आते |
घर का भेदी लंका ढाय | आपसी फूट के कारण भेद खुलना |
नया नौ दिन पुरान सौ दिन | नई वस्तुओ का विश्वास नहीं होता |
मान न मान मै तेरा मेहमान | जबरदस्ती किसी को मेहमान बनना |
सावन हरे न भादों सूखे | सदैव एक सी स्थिति मे रहना |
थोथा चना बाजे घना | सत्य नहीं होता वह दिखावा कर रहा है |
दूध का दूध पानी का पानी | सच और झूठ का फैसला |
दोनों हाथो मे लड्डू | दोनों ओर से लाभ |
आम के आम गुठलियों के दाम | दोहरा लाभ |
साँप मरे लाठी न टूटे | नुकसान भी न हो और काम बन जाए |
दूर के ढ़ोल सुहावने | जो चीजे दूर से अच्छी लगती हो |
न रहेगा बाँस न बाजेगी बांसुरी | कारण के नष्ट होने पर कार्य न होना |
अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग | विचारों मे अन्तर |
उल्टा चोर कोतवाल को डाटे | अपना दोष दूसरे पर रखना |
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और | करनी और कार्य क्षेत्र मे अन्तर |
आँख का अंधा नाम नैनसुख | पूर्ण रूप से मूर्खता मे श्रेष्ठ |
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख | माँगे बिना अच्छी वस्तु की प्राप्त हो ही जाती है |
अंत भला सो भला | मूर्ख राजा के राज्य मे अधर्म होना |
हिन्दी व्याकरण …