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कारक की परिभाषा, भेद एवं उदहारण ट्रिक से समझें | Karak In Hindi

कारक किसे कहते हैं?

कारक का शाब्दिक अर्थ होता है – ‘करने वाला’

संज्ञा या सर्वनाम का ऐसा रूप जो अन्य शब्दों से विशेषतः क्रिया से अपना सम्बन्ध प्रकट करता है, कारक कहलाता है।

जैसे – मोहन ने खाना खाया।

मोहन मोटर साइकिल से मेला देखने गया।

मोहन मेले में झूले पर बैठा।

मोहन ने अपने भाई के लिए मिठाई लाया। आदि

उपरोक्त वाक्य में ने, से, पर, के लिए वाक्य में शब्दों के बीच सम्बन्ध को दर्शाते हैं। और यही शब्द कारक चिन्ह कहलाते हैं।

कारक चिन्ह को परसर्ग या विभक्ति के नाम से भी जानते हैं।

कारक के कितने भेद होते हैं?

हिंदी व्याकरण में कारक के आठ भेद होते हैं। जिनके नाम नीचे दिए गए हैं –

कारक का नामकारक चिन्ह
कर्ता    ने
कर्म    को
करण   से, द्वारा
सम्प्रदान   के लिए, को
अपादान  से (अलग होने के अर्थ में)
सम्बन्ध   का, की, के, रा, री, रे, ना, नी, ने
अधिकरण   में, पर
सम्बोधन     हे !, अरे !, भो !

कर्ता कारक किसे कहते हैं?

संज्ञा, सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है, कर्ता कारक कहलाता है। इस कारक का चिन्ह ‘ने’ है।

जैसे – बच्चों ने खाना खाया।

मोहन ने पुस्तक पढ़ी।

राधा पुस्तक पढ़ रही है।

महत्वपूर्ण नोट्स 

  • कर्ता कारक का प्रयोग कारक चिन्ह के साथ भी हो सकती है और बिना कारक चिन्ह के साथ भी हो सकता है।
  • ‘ने विभक्ति’ का प्रयोग केवल भूतकाल में होता है।
  • कर्ता कारक में क्रिया सकर्मक तथा अकर्मक दोनों होती है।
  • क्रिया करने वाले हमेशा सजीव होते हैं।

कर्म कारक किसे कहते हैं?

वाक्य के जिस रूप से क्रिया पर प्रभाव या फल कर्ता के व्यापार पर पड़ता है तो उसे कर्म कारक कहते हैं। इस कारक का चिन्ह ‘को’ है।

जैसे – राधा पत्र लिखती है।

मम्मी भोजन को परोस रही हैं।

महत्वपूर्ण नोट्स 

  • इनमे केवल सकर्मक क्रिया होती है।
  • यदि वाक्य संज्ञा सजीव हो तो ‘को विभक्ति’ का प्रयोग होगा। जैसे – राम ने रावण को मारा।
  • प्राकृतिक क्रियाओं के साथ भी ‘को विभक्ति’ का प्रयोग होता है। जैसे – राम को उल्टी हो रही है।
  • यदि क्रिया में अनिवार्यता हो तो कर्ता के साथ ‘को विभक्ति’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे – राधा को यह कार्य जल्द ही पूरा करना होगा।

करण कारक किसे कहते हैं?

करण का अर्थ होता है – ‘साधन’।

वाक्य में कर्ता जिसके माध्यम से क्रिया सम्पन्न करता है, करण कारक कहलाता है। इस कारक का चिन्ह ‘से’ है।

जैसे – राधा चाक़ू से सब्जी काटती है।

मोहन साइकिल से पढ़ने जाता है।

सम्प्रदान कारक किसे कहते हैं?

वाक्य में कर्ता जिसके लिए कार्य करता है अर्थात जिसको कुछ देता है, उसे सम्प्रदान कारक कहते हैं। इस कारक का चिन्ह ‘के लिए’, ‘को’ है।

जैसे – राधा ने श्याम के लिए पुस्तक खरीदा।

मोहन ने सोहन को कलम दी।

महत्वपूर्ण नोट्स 

यदि कर्ता क्रोध करता है या कर्ता को कुछ अच्छा लगता है तो वहाँ सम्प्रदान कारक होता है।

जैसे – राजा अपने प्रजा पर क्रोध करता है।

गणेश जी को लड्डू बहुत अच्छे लगते हैं।

अपादान कारक किसे कहते हैं?

अपादान का अर्थ होता है – ‘अलग होना’।

जब एक संज्ञा सर्वनाम दूसरे संज्ञा सर्वनाम से अलग होते हैं, तो वहाँ अपादान कारक होता है। इस कारक का चिन्ह ‘से’ है।

याद रखिये कि करण कारक में ‘से’ का प्रयोग साधन के रूप में होता है। जबकि अपादान कारक में ‘से’ अलग होने के अर्थ में प्रयोग किया जाता है।

जैसे – गंगा हिमालय से निकलती है।

पेड़ से पत्ते गिरते हैं।

बादल से बूंदे गिरती हैं।

गुरूजी से छात्र हिंदी में पढ़ते।

महत्वपूर्ण नोट्स 

अपादान कारक का प्रयोग निम्न जगहों पर किया जाता है –

  • अलग होने के अर्थ में।
  • शिक्षा ग्रहण करने में।
  • तुलना करने में।
  • कार्य प्रारम्भ करने में।
  • क्रोध, घृणा, द्वेष, ईर्ष्या आदि करने में।

सम्बन्ध कारक किसे कहते हैं?

जब एक संज्ञा सर्वनाम का सम्बन्ध दूसरे संज्ञा सर्वनाम से बताया जाए तो उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इस कारक का चिन्ह का, की, के, रा, री, रे, ना, नी, ने है।

जैसे – यह हमारा घर है।

यह राधा के चुनरी है।

वह सुमेर की पतंग है।

महत्वपूर्ण नोट्स 

इसका प्रयोग ज्यादातर मुहावरों में देखने को मिलता है।

अधिकरण कारक किसे कहते हैं?

जिस संज्ञा सर्वनाम से कर्ता के क्रिया के आधार का पता चलता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इस कारक का चिन्ह ‘में, पर’ है।

जैसे – जंगल में जानवर हैं।

पेड़ पर कौआ बैठा है।

सम्बोधन कारक किसे कहते हैं?

वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग किसी को पुकारने या बुलाने के लिए किया जाता है, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इस कारक का चिन्ह ‘हे !, अरे !, हो ! आदि हैं।

जैसे –  हे भगवान ! मेरी रक्षा कीजिए।

अरे तरुण ! मेरे साथ चलो। 

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