वाच्य
क्रिया के जिस रूप से कर्ता, कर्म और भाव की प्रधानता का बोध होता है, उसे वाच्य कहा जाता है।
जैसे – राधा पत्र लिखती है।
राधा – कर्ता
पत्र – कर्म
लिखती – क्रिया
वाच्य के भेद
वाच्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते है –
1. कर्तृवाच्य
2. कर्मवाच्य
3. भाववाच्य
कर्तृवाच्य
जिस वाक्य मे कर्ता प्रधान हो और कर्म गौण हो, उसे कर्तृवाच्य कहा जाता है।
कर्ता – प्रधान
कर्म – गौण
जैसे – राधा पत्र लिखती है।
महत्वपूर्ण नोट्स
इन वाक्यों मे कर्ता प्रधान होता है।
इन वाक्यो मे क्रिया कर्ता के लिंग, वचन व काल के अनुसार होती है।
कर्तृवाच्य मे क्रिया सकर्मक और अकर्मक दोनों होती है।
कर्मवाच्य
जिस वाक्य मे कर्म के अनुसार क्रिया हो, उसे कर्मवाच्य कहते है।
कर्ता – गौण
कर्म – प्रधान
महत्वपूर्ण नोट्स
इस प्रकार के वाक्यो मे के द्वारा, से विभक्ति का प्रयोग होता है।
जैसे – राधा के द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।
प्रिया के द्वारा खाना खाया जाता है।
इस प्रकार के वाक्यो मे क्रिया कर्म के लिंग, वचन व काल के अनुसार हो, होती है।
कर्मवाच्य मे क्रिया हमेशा सकर्मक होती है।
भाववाच्य
जिन वाक्यो मे भाव की प्रधानता होती है, वहाँ भाववाच्य होता है। इसमे कर्ता और कर्म गौण होते है।
भाव – प्रधान
कर्ता – गौण
कम – गौण
इस प्रकार के वाक्यो मे हमेशा निषेधात्मकता पायी जाती है।
जैसे – राधा से पत्र पढ़ा नहीं जाता।
अब मुझसे पानी पीया नहीं जाता।
हिन्दी व्याकरण ..