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क्रिया किसे कहते हैं, कर्म एवं बनावट के आधार पर क्रिया के भेद | Kriya in hindi

क्रिया किसे कहते है?

यदि किसी वाक्य में काम का करना या होना पाया जाए तो उसे क्रिया कहते है। क्रिया संस्कृत के धातु से आई है संस्कृत के धातु से ही क्रिया बनती है। चलिए क्रिया को हम ट्रिक और सारणी के माध्यम से समझने की कोशिश करते है –  

ट्रिक –  पढ़ लिख कर सो जा चल आ बैठ 

संस्कृत धातु प्रत्ययक्रिया
पढ़नापढ़ना
लिखनालिखना
करनाकरना
सोनासोना
जानाजाना
चलनाचलना
नाआना
बैठनाबैठना

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है जो निम्न प्रकार है-

  1. सकर्मक क्रिया
  2. अकर्मक क्रिया

सकर्मक क्रिया – जिन वाक्यों में कर्म पाया जाता है उन्हें सकर्मक क्रिया कहते है।

जैसे – संदीप पुस्तक पढ़ता है।

संदीप – कर्ता, पुस्तक – कर्म, पढ़ता – क्रिया

सकर्मक क्रिया के दो भेद होते है –

  1. एककर्मक
  2. द्विकर्मक

एककर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में केवल एक कर्म पाया जाता है उन्हें एककर्मक क्रिया कहते है। जैसे – राम पत्र लिखता है।

भिखारी को भिक्षा दो।

द्विकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में दो कर्म पाया जाता है उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते है। सजीव कर्म को गौण तथा निर्जीव कर्म को प्रधान कहते है।

जैसे –  माँ बच्चे को दूध पिलाती है।

माँ(कर्ता), बच्चे (पहला कर्म-गौण ), को (कारक चिन्ह), दूध (दूसरा कर्म-प्रधान), पिलाती (क्रिया)

मोहन राधा को पत्र लिखता है।

राधा-गौण (सजीव ), पत्र-प्रधान (निर्जीव )

अकर्मक क्रिया –  जिन वाक्यों में कर्म नहीं पाया जाता है उन्हें अकर्मक क्रिया कहते है।

जैसे – संदीप पढ़ता है।

अकर्मक क्रिया के तीन भेद होते है –

  1. अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया
  2. गत्यार्थ अकर्मक क्रिया
  3. अपूर्ण अकर्मक क्रिया

अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में अवस्था का बोध हो,उन्हें अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – राम सो रहा है।

गत्यार्थ अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में कर्ता गतिमान हो,उन्हें गत्यार्थ अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – पक्षी आकाश में उड़ते है।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में क्रिया न तो सकर्मक हो और न ही अकर्मक हो,उन्हें अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते है।जैसे – बालक स्वस्थ है।

सकर्मक और अकर्मक क्रिया पहचानने के ट्रिक

यदि किसी वाक्य में क्या और किसको प्रश्न पूछने पर उत्तर मिल जाता है तो क्रिया सकर्मक होगा और यदि उत्तर नहीं मिलता है तो क्रिया अकर्मक होगा।

संरचना या बनावट के आधार पर क्रिया भेद

संरचना या बनावट के आधार पर क्रिया भेद निम्न प्रकार के होते है –

ट्रिक – क्रिया सपना है,बाकी अपना है। 

स – सामान्य क्रिया, सहायक क्रिया, सजातीय क्रिया, संयुक्त क्रिया

प – पूर्वकालिक क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया

ना – नामधातु क्रिया

अ – अनुकरणात्मक क्रिया

सामान्य क्रिया :- जिन वाक्यों में केवल एक ही क्रिया होती है, उन्हें सामान्य क्रिया कहते है। जैसे – राधा खाती है। राधा रोती है। राधा सोती है।

सहायक क्रिया :- सहायक क्रिया, क्रिया के अंत में लगाती है। जैसे – राधा पढ़ती है।

सजातीय क्रिया :- जिन वाक्यों में कर्म और क्रिया एक धातु या जाति के होते है, उन्हें सजातीय क्रिया कहते है। जैसे – राम ने खाना खाया।

संयुक्त क्रिया :- जिन वाक्यों में एक से अधिक क्रिया पायी जाती है, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते है। जैसे – राधा खाना बना रही है।

बालक छत से कूद पड़ा।

पूर्वकालिक क्रिया :- जिन वाक्यों में एक क्रिया समाप्त होने के पश्चात दूसरी क्रिया प्रारम्भ हो जाती है, पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।

जैसे – संदीप पढ़कर सो गया।

राधा नहाकर मंदिर जाती है।

महत्वपूर्ण नोट्स

इस प्रकार के वाक्यों में अक्सर ‘कर’ शब्द अंतिम में पाया जाता है। तात्कालिक के लिए ‘ही’  प्रयोग किया जाता है। जैसे – श्याम पढ़ते ही सो गया।

प्रेरणार्थक क्रिया :- यदि किसी वाक्य में कर्ता काम नहीं करता है वह किसी दूसरे से काम कराता है तो वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है। जैसे – राधा श्याम से पत्र लिखवाती है।

नामधातु क्रिया :- जिस क्रिया के अंत में आना या ईयाना धातु जुड़ा होता है, नामधातु क्रिया कहलाता है। जैसे – बतियाना, खाना, गाना  आदि।

अनुकरणात्मक क्रिया :- किसी ध्वनि का अनुकरण करके जो क्रिया बनाई जाती है, अनुकरणात्मक क्रिया कहलाती है। जैसे – बगीचे में मधुमक्खियाँ भिनभिनाती है। राम ने दरवाजा खटखटाया।  

हिन्दी व्याकरण …

हिन्दी वर्णमालाकारक
शब्दवाच्य
वाक्यवचन
हिन्दी मात्राउपसर्ग
संज्ञाविराम चिन्ह
सर्वनामअविकारी शब्द
क्रियाराजभाषा और राष्ट्रभाषा
विशेषणपर्यायवाची शब्द 160 +
सन्धितत्सम और तद्भव शब्द
समासअनेक शब्दों के लिए एक शब्द
हिन्दी मुहावरा एवं लोकोक्तियांकाल किसे कहते है काल के प्रकार
औपचारिक पत्र, अनौपचारिक पत्र लेखन

क्रिया किसे कहते है?

यदि किसी वाक्य में काम का करना या होना पाया जाए तो उसे क्रिया कहते है। क्रिया संस्कृत के धातु से आई है संस्कृत के धातु से ही क्रिया बनती है। चलिए क्रिया को हम ट्रिक और सारणी के माध्यम से समझने की कोशिश करते है –  

ट्रिक –  पढ़ लिख कर सो जा चल आ बैठ 

संस्कृत धातु प्रत्ययक्रिया
पढ़नापढ़ना
लिखनालिखना
करनाकरना
सोनासोना
जानाजाना
चलनाचलना
नाआना
बैठनाबैठना

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद होते है जो निम्न प्रकार है-

  1. सकर्मक क्रिया
  2. अकर्मक क्रिया

सकर्मक क्रिया – जिन वाक्यों में कर्म पाया जाता है उन्हें सकर्मक क्रिया कहते है।

जैसे – संदीप पुस्तक पढ़ता है।

संदीप – कर्ता, पुस्तक – कर्म, पढ़ता – क्रिया

सकर्मक क्रिया के दो भेद होते है –

  1. एककर्मक
  2. द्विकर्मक

एककर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में केवल एक कर्म पाया जाता है उन्हें एककर्मक क्रिया कहते है। जैसे – राम पत्र लिखता है।

भिखारी को भिक्षा दो।

द्विकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में दो कर्म पाया जाता है उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते है। सजीव कर्म को गौण तथा निर्जीव कर्म को प्रधान कहते है।

जैसे –  माँ बच्चे को दूध पिलाती है।

माँ(कर्ता), बच्चे (पहला कर्म-गौण ), को (कारक चिन्ह), दूध (दूसरा कर्म-प्रधान), पिलाती (क्रिया)

मोहन राधा को पत्र लिखता है।

राधा-गौण (सजीव ), पत्र-प्रधान (निर्जीव )

अकर्मक क्रिया –  जिन वाक्यों में कर्म नहीं पाया जाता है उन्हें अकर्मक क्रिया कहते है।

जैसे – संदीप पढ़ता है।

अकर्मक क्रिया के तीन भेद होते है –

  1. अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया
  2. गत्यार्थ अकर्मक क्रिया
  3. अपूर्ण अकर्मक क्रिया

अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में अवस्था का बोध हो,उन्हें अवस्था बोधक अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – राम सो रहा है।

गत्यार्थ अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में कर्ता गतिमान हो,उन्हें गत्यार्थ अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – पक्षी आकाश में उड़ते है।

अपूर्ण अकर्मक क्रिया :- जिन वाक्यों में क्रिया न तो सकर्मक हो और न ही अकर्मक हो,उन्हें अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते है।जैसे – बालक स्वस्थ है।

सकर्मक और अकर्मक क्रिया पहचानने के ट्रिक

यदि किसी वाक्य में क्या और किसको प्रश्न पूछने पर उत्तर मिल जाता है तो क्रिया सकर्मक होगा और यदि उत्तर नहीं मिलता है तो क्रिया अकर्मक होगा।

संरचना या बनावट के आधार पर क्रिया भेद

संरचना या बनावट के आधार पर क्रिया भेद निम्न प्रकार के होते है –

ट्रिक – क्रिया सपना है,बाकी अपना है। 

स – सामान्य क्रिया, सहायक क्रिया, सजातीय क्रिया, संयुक्त क्रिया

प – पूर्वकालिक क्रिया, प्रेणार्थक क्रिया

ना – नामधातु क्रिया

अ – अनुकरणात्मक क्रिया

सामान्य क्रिया :- जिन वाक्यों में केवल एक ही क्रिया होती है, उन्हें सामान्य क्रिया कहते है। जैसे – राधा खाती है। राधा रोती है। राधा सोती है।

सहायक क्रिया :- सहायक क्रिया, क्रिया के अंत में लगाती है। जैसे – राधा पढ़ती है।

सजातीय क्रिया :- जिन वाक्यों में कर्म और क्रिया एक धातु या जाति के होते है, उन्हें सजातीय क्रिया कहते है। जैसे – राम ने खाना खाया।

संयुक्त क्रिया :- जिन वाक्यों में एक से अधिक क्रिया पायी जाती है, उन्हें संयुक्त क्रिया कहते है। जैसे – राधा खाना बना रही है।

बालक छत से कूद पड़ा।

पूर्वकालिक क्रिया :- जिन वाक्यों में एक क्रिया समाप्त होने के पश्चात दूसरी क्रिया प्रारम्भ हो जाती है, पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है।

जैसे – संदीप पढ़कर सो गया।

राधा नहाकर मंदिर जाती है।

महत्वपूर्ण नोट्स

इस प्रकार के वाक्यों में अक्सर ‘कर’ शब्द अंतिम में पाया जाता है। तात्कालिक के लिए ‘ही’  प्रयोग किया जाता है। जैसे – श्याम पढ़ते ही सो गया।

प्रेरणार्थक क्रिया :- यदि किसी वाक्य में कर्ता काम नहीं करता है वह किसी दूसरे से काम कराता है तो वहाँ प्रेरणार्थक क्रिया होती है। जैसे – राधा श्याम से पत्र लिखवाती है।

नामधातु क्रिया :- जिस क्रिया के अंत में आना या ईयाना धातु जुड़ा होता है, नामधातु क्रिया कहलाता है। जैसे – बतियाना, खाना, गाना  आदि।

अनुकरणात्मक क्रिया :- किसी ध्वनि का अनुकरण करके जो क्रिया बनाई जाती है, अनुकरणात्मक क्रिया कहलाती है। जैसे – बगीचे में मधुमक्खियाँ भिनभिनाती है। राम ने दरवाजा खटखटाया।  

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शब्दवाच्य
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हिन्दी मात्राउपसर्ग
संज्ञाविराम चिन्ह
सर्वनामअविकारी शब्द
क्रियाराजभाषा और राष्ट्रभाषा
विशेषणपर्यायवाची शब्द 160 +
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