आज के लेख में मैं आपको औपचारिक पत्र, अनौपचारिक पत्र लेखन उदहारण (letter format in hindi) सहित बताऊंगा।
पत्र लेखन के द्वारा हम अपनी बात को विस्तारपूर्वक कह सकते हैं। पत्र लेखन को पढ़कर जो अपनेपन का भाव झलकता है वैसा और किसी अन्य साधन के द्वारा नहीं होता है।
पत्र लेखन का ज्ञान होना बहुत ही जरूरी है क्योकि अधिकारियों आदि तक अपनी बात को पहुंचाने के लिए पत्र लेखन ही माध्यम बनाया जाता है।
पत्र लिखते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
पत्र लिखते समय हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- पत्र सरल और सुबोध भाषा में होना चाहिए।
- पत्र की भाषा दुर्बोध नहीं होनी चाहिए।
- पत्र का आकार संक्षिप्त होना चाहिए।
- पत्र में अलंकारों, मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
- पते और तिथि के कुछ नीचे बाईं ओर सम्बोधन (प्रिय, महोदय, श्रीमान) लिखते हैं।
- अंत में पत्र के ऊपर पत्र पाने वाले का नाम, नगर का नाम, डाकघर, जिले व प्रदेश का नाम और पिन कोड नम्बर स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए।
औपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र ऐसे लोगों को लिखा जाता है। जिनसे लिखने वाले का कोई पारिवारिक या व्यक्तिगत सम्बन्ध नहीं होता है।
औपचारिक पत्र अधिकारियों को, विद्द्यालय के प्रधानाचार्य को, समाचार – पत्र के सम्पादक को, नौकर को, पुस्तक विक्रेता या किसी व्यापारी आदि को लिखा जाता है।
औपचारिक पत्र लेखन उदहारण
प्रधानाध्यापक को अवकाश के लिए पत्र
सेवा में,
ए० बी० एस० स्कूल
दिल्ली
आदरणीय महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके स्कूल के कक्षा सातवीं का छात्र हूँ। मैं कल शाम से बुखार से पीड़ित हूँ इसलिए स्कूल आने में पूरी तरह से असमर्थ हूँ। डॉक्टर ने मुझे अगले तीन – दिन तक विस्तार पर आराम करने के लिए कहा है। मैं अगले तीन – दिन तक स्कूल में अनुपस्थित रहूंगा।
कृपा मुझे क्षमा करें और अगले तीन – दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
संदीप कुमार
कक्षा – 7
रूल नम्बर – 1
दिनाँक …………………
अनुपस्थित – दण्ड माफ़ करने के लिए प्रधानाचार्य को पत्र
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य
ए० बी० एस० स्कूल
दिल्ली
माननीय महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि किसी आवश्यक कार्य से अचानक मुझे गाँव जाना पड़ा जिसके कारण मैं 2 जनवरी 200 …….. को अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं हो सका। कक्षा अध्यापक ने बिना पूर्व सूचना के अनुपस्थित रहने पर मुझ पर दण्ड लगाया है। अतः आप से प्रार्थना है कि दिनाँक 2 जनवरी 200 …….. का अनुपस्थित दण्ड माफ़ करने की कृपा करें।
मैं आपकी इस कृपा के लिए आपका आभारी रहूंगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
आकाश कुमार
कक्षा – 6
दिनाँक …………..
अनौपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र ऐसे लोगों को लिखा जाता है। जिनसे लिखने वाले का कोई पारिवारिक या व्यक्तिगत सम्बन्ध होता है।
अनौपचारिक पत्र माता – पिता, भाई – बहन, दादा – दादी, मित्र सहेली तथा सम्बन्धियों को लिखा जाता है।
अनौपचारिक पत्र लेखन उदहारण
अपने पिता को छात्रावास के विषय में पत्र
छात्रावास,
एम० एल० के० पी० कॉलेज
बलरामपुर
दिनाँक ………………….
पूज्य पिता जी
सादर चरण स्पर्श,
कल ही मुझे आपका पत्र मिला। मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि घर पर सब लोग बिल्कुल ठीक हैं। आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी कि अब छात्रावास में मेरा मन लग रहा है। यहाँ का वातावरण बहुत ही अच्छा हैं। यहाँ पर पढाई – लिखाई के साथ – साथ खेल – कूद पर भी ध्यान दिया जाता है। छात्रावास का भोजन बिल्कुल अपने घर जैसा ही है। छात्रावास में सभी छात्र मिल – जुल कर एक परिवार की तरह रहते हैं।
मैं दुर्गापूजा की छुट्टियों में घर आऊँगा।
माता जी को चरण स्पर्श।
आपका आज्ञाकारी पुत्र
संदीप
हिन्दी व्याकरण …