सौरमंडल (Solar System)
सौरमंडल को जानने से पहले हम ब्रह्माण्ड के विषय मे जानेंगे कि ब्रह्माण्ड किसे कहते हैं ?
पृथ्वी को घेरनी वाला अपार आकाश तथा उसमे उपस्थित सभी खगोलीय पिण्ड एवं सम्पूर्ण ऊर्जा को समग्र रूप से ब्रह्माण्ड कहते हैं।
ब्रह्माण्ड के प्रसार का सिद्धान्त ‘अवरक्त विस्थापन’ पर आधारित है। इसकी पुष्टि सर्वप्रथम ‘एडविन हब्बल’ नामक वैज्ञानिक ने कि थी।
ब्रह्माण्ड की अनुमानित आयु 10 x 109 वर्ष से 19 x 109 वर्ष के बीच मानी जाती है। ब्रह्माण्ड मे तारों की कुल संख्या लगभग 10 22 मानी जाती है।
सौरमंडल व अन्य आकाशीय पिण्ड ब्रह्माण्ड के अंग के रूप मे समझे जाते हैं।
सौरमंडल का अभिप्राय सूर्य तथा उसके चारों ओर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चक्कर लगाने वाले ग्रहों, उपग्रहों, क्षूद्र ग्रहों और उल्काओं के समूह से लगाया जाता है।
सूर्य, सौरमंडल का एक प्रमुख तारा है जो स्वयं के प्रकाश और ऊर्जा से प्रकाशित होता है। सूर्य को ही सौरमंडल का पिता कहा जाता है। इसका संगठन हाइड्रोजेन, हीलियम, नाइट्रोजन और अन्य गैसों से होता है। इन गैसों मे सबसे अधिक मात्रा में 71% हाइड्रोजन की होती है और हीलियम 26.5% तथा नाइट्रोजन व अन्य गैसें 2.5%पायी जाती हैं।
सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुँचने मे लगभग 8 मिनट 18 सेकेण्ड का समय लगता है। सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है।
ग्रह (Planet)
ग्रह वे आकाशीय पिण्ड होते हैं जो सूर्य से ऊष्मा और ऊर्जा तथा प्रकाश प्राप्त करते हैं और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। प्रारम्भ मे सौरमंडल में कुल नव ग्रह थे। वर्ष 2006 के अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ सम्मेलन ने एम ग्रह को बौने ग्रह के रूप में बताकर वर्तमान में ग्रहों की कुल संख्या आठ बताई है जिनका संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।
- बुद्ध
- शुक्र
- पृथ्वी
- मंगल
- बृहस्पति
- शनि
- अरुण
- वरुण
बुद्ध (Mercury)
सूर्य के सबसे निकट बुद्ध ग्रह है। यह 88 दिनों मे सूर्य के चारों तरफ एक चक्कर लगा लेता है इस ग्रह के कोई उपग्रह नहीं हैं इसे प्रातः काल और भोर के तारे के रूप में माना जाता है।
शुक्र (Venus)
सौरमंडल का क्रम के अनुसार दूसरा ग्रह शुक्र है। यह 225 दिनो में सूर्य के चारों तरफ एक चक्कर लगा लेता है। इसके भी कोई उपग्रह नहीं हैं इस ग्रह को साँझ का व भोर का तारा कहते हैं। इसे चमकीला ग्रह भी कहते हैं। यह पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है। यह अन्य ग्रहों की अपेक्षा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर चक्कर लगाता है। पृथ्वी के निकट होने के कारण इसे सबसे अधिक चमकीला एवं पृथ्वी की बहन के नाम से भी जाना जाता है।
पृथ्वी (Earth)
पृथ्वी सौरमंडल का क्रम के अनुसार तीसरा ग्रह है जिस पर जीवन सम्भव है। यह सौरमंडल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है। पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर साड़े तेइस डिग्री झुकी हुई है। जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को नीला ग्रह के नाम से जानते है। पृथ्वी पर 71% जल और 29% स्थलमंडल है। 24 घण्टे में पूरा एक चक्कर लगाने के समय को घूर्णन गति या दैनिक गति कहते हैं। 365 ¼ दिन में सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने की गति को वार्षिक गति या परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह चंद्रमा है।
मंगल (Mars)
सौरमंडल मे मंगल ग्रह को लाल ग्रह के नाम से जानते हैं। मंगल ऐसा ग्रह है जिसपर पृथ्वी की भाँति जीवन सम्भव है। कार्बन डाईऑक्साइड (CO2 ) के अधिकता के कारण यहाँ वायुमंडल अत्यन्त विरल है। यह पृथ्वी से लगभग 5.44 करोड़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह सूर्य की परिक्रमा 687 दिनों मे पूरा करता है। मंगल ऐसा ग्रह है जिसके दो उपग्रह हैं ‘फोबोस और डिबोस’
मंगल ग्रह पर सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत ‘ओलिम्पस मीन्स’ अवस्थित है जो एक ज्वालामुखी पर्वत है।
बृहस्पति (Jupiter)
सौरमंडल का आकार के दृष्टि से यह सबसे बड़ा ग्रह है। इसे अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 10 घण्टे का समय और सूर्य की परिक्रमा लगाने में 12 – वर्ष का समय लगता है। बृहस्पति ग्रह के सबसे अधिक उपग्रह हैं जिनकी संख्या 63 है। ‘गेनीमीड’ सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है। बृहस्पति का तापमान -1300C है। जिसके कारण इसे शीतग्रह भी कहा जाता है।
शनि (Saturn)
यह सौरमंडल का चपटा ग्रह है इसे गैसों का गोला भी कहा जाता है। इस ग्रह के चारो ओर विभिन्न गैसों के छल्ले पाये जाते हैं। इसमे उपग्रहो की संख्या 62 है। ‘टाइटन’ शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है जो बुद्ध ग्रह के बराबर है। यह सौरमंडल का एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके पास अपना स्थायी वायुमंडल है।
अरुण (Uranus)
अरुण ग्रह का नामकरण ग्रीक देवता यूरेनस के नाम पर किया गया है। यह सौरमंडल का तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है। इस ग्रह का तापमान 18 0C है इसकी खोज विलियम हर्सल ने किया था। यह सूर्योदय के समय पश्चिम की ओर और सूर्यास्त के समय पूर्व की ओर होता है। इसमे उपग्रहों की संख्या 27 है। इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं।
वरुण (Neptune)
वरुण ग्रह की खोज 1846 ई० में जर्मन खगोलविधि जोहानगोले ने किया था। यह सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर ग्रह है। इसके उपग्रहों की कुल संख्या 14 है। इस ग्रह के चारों ओर अतिशीतल मीथेन का बादल छाया होता है। यहाँ पर वायुमंडल सबसे घना है, जिसमे हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन और अमोनिया प्रमुख हैं।
आकार के अनुसार ग्रहों का घटता हुआ क्रम
- बृहस्पति
- शनि
- अरुण
- वरुण
- पृथ्वी
- शुक्र
- मंगल
- बुद्ध
उपग्रह किसे कहते हैं ?
वे आकाशीय पिण्ड जो ग्रहों की परिक्रमा करते हुए सूर्य के चारो तरफ अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं उन्हे उपग्रह कहते हैं। चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है जिसका प्रकाश पृथ्वी पर 1.25 सेकेण्ड में पहुँचता है। इसके अलावा मंगल के दो उपग्रह होते है सबसे अधिक उपग्रह वाला ग्रह बृहस्पति है।
क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं ?
ग्रहों और उपग्रहों के अलावा कुछ ऐसे आकाशीय पिण्ड होते हैं। जो इन दोनों का चक्कर पूरा करके सूर्य के चारो ओर परिक्रमा करते हैं, उन्हे क्षूद्र ग्रह कहते हैं।
वास्तव में ये ग्रह के टूटे हुये टुकड़े होते हैं। इसलिए इन्हे टूटे हुए तारे की संज्ञा के नाम से जानते हैं।
उल्कापिण्ड या पुच्छलतारा या धूमकेतु किसे कहते हैं ?
वे आकाशीय पिण्ड जो सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाते हैं। और आकार में छोटे – छोटे टुकड़े होते हैं और इनका निर्माण विभिन्न गैसों और धूल के कणों से होता है।, उन्हे उल्कापिण्ड कहते हैं।
कभी – कभी ये वायुमंडल में आपसी रगड़ के कारण जलने लगते हैं और पृथ्वी पर गिर जाते हैं गिरने के बाद इसमे सबसे अधिक मात्रा में लोहा और निकिल धातु पायी जाती है।
आकाशगंगा किसे कहते हैं ?
लाखों तारों के समूह को आकाशगंगा कहते हैं। ब्राह्मांड करोड़ो मंदाकिनियों के समूह से बना है। हमारी पृथ्वी जिस मन्दाकिनी में स्थित है उसे ही दुग्धमेखला या आकाशगंगा कहते हैं।
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