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रक्त परिसंचरण तंत्र (Circulatory System)

 रक्त परिसंचरण तंत्र

 रक्त परिसंचरण तंत्र खोजकर्ता का नाम – विलियम हार्वे (1928 ई०)

रुधिर के अध्ययन को हिमेटोलॉजी कहा जाता है| यहाँ हिमेटो का अर्थ है – ‘रुधिर’ एवं लॉजी का अर्थ है – अध्ययन करना|

रुधिर की जाँच करने वाले डॉक्टर को हिमेटोलॉजिस्ट (Haematologist) कहते हैं|

रुधिर एक परिसंचरित अंग (Circulatory Organ) है| जिसमे आक्सीजन, कार्बन डाई आक्साइड, ग्लूकोज, खनिज, यूरीन और पोषक तत्व होते हैं|

रुधिर एक संयोजी ऊतक (Connective Tissue) होता है|

रुधिर एक मिजोडर्मील अंग है –

हमारी त्वचा के अंदर तीन प्रकार की  परत पायी जातीं है

Ectoderm (एकटोडर्म) – हमारी त्वचा का बाहरी परत जो हमें दिखाई देता है|

Mesoderm (मिजोडर्म) – त्वचा का मध्य परत

Endoderm (एण्डोडर्म) – त्वचा के अंदर की परत

हमारे शरीर में रुधिर का निर्माण अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में होता है| यह मिजोडर्म के नीचे होता है|

रुधिर या खून को  हिमोसाइटोमीटर यन्त्र  (Himocytometer) के द्वारा मापा जाता है|

रुधिर का ph (Power of Hydrogen or Potesium) मान 7.4 होता है| ph मापने का यन्त्र सोरेंसन नामक वैज्ञानिक ने बनाया था| रुधिर क्षारीय + एल्कालाइन ( जो पानी में घुल जाए) होता है|

मनुष्य में रुधिर की मात्रा लगभग 5 से 6 लीटर तथा लड़कियों में रुधिर की मात्रा लगभग 4 से 5 लीटर होता है|

हमारे शरीर के कुल भार का 7 % रुधिर हमारे शरीर में पाया जाता है|

रुधिर कोशिकाओं के प्रकार

रुधिर कोशिका मुख्यता तीन प्रकार की होती है –

        लाल रुधिर कोशिका (RBC – Red Blood Cell) :-

इनकी संख्या मिलियन में होती है|

        श्वेत रुधिर कोशिका (WBC – White Blood Cell) :-

इनकी संख्या हजारों में होती है|

         विम्बाणु  (Platelets) :-

इनकी संख्या लाखो में होती है|

लड़कियों में RBC की संख्या लड़कों की अपेक्षा कम होती है इसलिए लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा कम खून होता है|

एक यूनिट रुधिर का अर्थ 350 – 400 ml होता है| यह Male  में 14 से 17 यूनिट पाया जाता है तथा Female में 10 से 14 यूनिट पाया जाता है|

रुधिर का रंग ‘हीमोग्लोबिन’ पिग्मेंटस के कारण के कारण लाल होता है|

कॉकरोच के रुधिर का रंग हिमोलिम्फ के कारण सफ़ेद होता है|

ऑक्टोपस के रुधिर का रंग हिमोसाइनिन के कारण नीला रंग होता है|

रुधिर का संगठन

  1. तरल पदार्थ (55 %) – प्लाज्मा
  2. ठोस पदार्थ (45 %) – RBC, WBC, Platelets
       प्लाज्मा क्या है ?

प्लाज्मा रुधिर का तरल पदार्थ होता है| इसमें में WBC और Platelets पाये जाते हैं इनमे RBC नहीं पाया जाता है| इसका रंग हल्का पीला होता है|

प्लाज्मा का रंग ‘बिलीरूबीन’ पिग्मेंट के कारण हल्का पीला होता है| बिलीरूबीन की मात्रा अधिक होने पर पीलिया नामक रोग उत्पन्न होता है|

         प्लाज्मा का संगठन :-

  • प्लाज्मा में सबसे अधिक जल (90 %) होता है|
  • ग्लूकोज / खनिज 1 % होता है जिससे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है|
  • प्रोटीन (9 %)  होता है|

         प्लाज्मा के कार्य

  • यह ग्लूकोज को सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है|
  • यह रुधिर का थक्का बनाने में सहायक है|
  • यह रुधिर के ph मान 7.4 को संतुलित रखता है|

RBC (Red Blood Cells)

RBC के खोजकर्ता का नाम – एन्टोनी वेन ल्यूवेनहॉक 

डॉक्टर की भाषा में इसे Erythrocytes इरिथ्रोसाइट्स कहा जाता है| इसकी संख्या मिलियन्स में होती है| यह male में 4.5 से 5.5 मिलियन / हीमोग्लोबिन तथा female में 4 से 4.5 मिलियन / हीमोग्लोबिन पाया जाता  है|

सबसे छोटी कोशिका RBC होती है|

RBC का लाल रंग हीमोग्लोबिन पिग्मेंट के कारण होता है| इसका निर्माण अस्थि मज्जा में होता है| इसका जीवनकाल 120 दिन होता है|

RBC का मृत्यु यकृत / प्लीहा में होता है इसलिए इसे RBC का कब्रिस्तान भी कहा जाता है|

प्लीहा / तिल्ली को Blood Bank Of RBC कहते हैं|

RBC में केन्द्रक नहीं पाया जाता है लेकिन दो स्तनधारियों Camel और Lama में केन्द्रक पाया जाता है|

RBC के कार्य

RBC के दो महत्वपूर्ण कार्य हैं –

हीमोग्लोबिन + ऑक्सीजन = आक्सीहीमोग्लोबिन

हीमोग्लोबिन, ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके आक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है|

हीमोग्लोबिन + कार्बनडाइआक्साइड = कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन

हीमोग्लोबिन, कार्बनडाइआक्साइड के साथ क्रिया करके कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है|

RBC की बीमारियाँ

RBC की कमी (खून के कमी) से होने वाले रोग का नाम Anemia है|

RBC के अधिक होने पर पॉलीसाइथेमिया (Polycythemia) नामक रोग होता है| जिसके कारण त्वचा पर काले धब्बे पड़ने लगते हैं|

WBC (White Blood Cells)

WBC के खोजकर्ता का नाम – एडिसन

डॉक्टर की भाषा में इसे Leucocytes ल्यूकोसाइट कहा जाता हैं| इसकी संख्या हजारों में होती है| यह रक्त की सबसे बड़ी कोशिका होती है| इसका निर्माण अस्थिमज्जा में होता है|

WBC का जीवनकाल 2 से 4 दिन होता है|

RBC : WBC = 600 : 1

WBC का आकर अनिश्चित होता है जैसा कि अमीबा (एककोशिकीय जीव) का होता है|

WBC में केन्द्रक नहीं पाया जाता है|

WBC के प्रकार

कणिका में WBC (Granulocytes) :-

  • Basophills -यह  Allergy के समय कार्य करता  है|
  •  Neutrophills – यह जीवाणु जनित रोग के समय कार्य करता है|
  •  Eosinophills – यह विषाणु जनित / कवक जनित रोग के समय कार्य करता है|

अकणिका में WBC (Agranulocytes) :-

  • Monocytes
  • Lymphocytes

यह दोनों भविष्य में कार्य करते हैं| जैसे – हमें बचपन में BCG, पोलियो आदि टीकाकरण लगते हैं|

हमारी Memory Cell याददाश्त कोशिका Monocytes और Lymphocytes से मिलकर बनाते है|

WBC की बीमारियाँ

WBC की कमी से होने वाला रोग Leucopenia ल्यूकोपीनिया है|

WBC की अधिकता से होने वाला रोग Leukemia ल्यूकीमिया है|

WBC के कार्य

यह मानव शरीर को रोगो से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है| इसे अन्य तीन नामों से जाना जाता है –

  1. Bodyguard Cell
  2. Fighter Cell
  3. Soldiers Cell

विम्बाणु (Platelets)

डॉक्टर की भाषा में इसे थ्रोमोसाइट्स (Thrombocytes) कहते हैं| इसकी संख्या लाखों में होती है| इसका निर्माण अस्थिमज्जा में होता है| इसका जीवनकाल 8 से 10 दिन होता है|

Platelets की मृत्यु रुधिर में होती है और यह पुनः रुधिर में ही बनते हैं|

यह रुधिर का थक्का जमाने में सहायक होती है| रुधिर का थक्का बनने में लगभग 4 से 5 मिनट लगता है|

रुधिर का थक्का बनाने वाले कारक

  • कैल्शियम (रक्त)
  • विटामिन – K
  • प्रोटीन

Anti Clotting Factor के  कारण हमारे शरीर के रुधिर में थक्का नहीं बनता है|

Anti Clotting Factor – हेपरीन (Heprin)

कृत्रिम हिपेरीन – हीरुडीन (यह जोंक के लार से बनाया जाता है)

Platelets की बीमारियाँ

Platelets की कमी से रुधिर का थक्का नहीं बन पाता है|

Platelets की संख्या अधिक होने पर रुधिर के अंदर ही थक्का बनने लगता है|

 महत्वपूर्ण नोट्स –

डेंगू और मलेरिया बीमारी के समय Platelets की संख्या कम हो जाती है|

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