कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्यौहार में से एक है। यह भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं और रासलीलाओं की गाथा जो भक्ति की एक परम आस्था है उससे भला कौन नहीं रीझता है।
भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जो हिन्दू रहते है वो इस त्यौहार को पूरे हर्षौल्लास के साथ मनाते हैं। भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे जिन्होंने महाभारत में गीता के उपदेश द्वारा जो कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढाया है आज उसे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण मानकर बहुत से लोग पढ़ते हैं। इस दिन आस्था और भक्ति के साथ लोग भगवान श्री कृष्ण की कृपा दृष्टि पाने के लिए वर्त रखते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि 2020 एवं शुभ मुहूर्त
2020 में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार 12 अगस्त दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण के पूजा के लिए शुभ मुहूर्त रात 12 बजकर 4 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 48 मिनट के बीच है।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म कब हुआ था ?
भगवान श्री कृष्ण अधर्म का नाश और धर्म की स्थापना के लिए भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि को अवतरित हुए थे। वैसे तो ये अजन्में हैं परन्तु ये युग युग में स्वयं को प्रकट करते हैं क्योंकि महाभारत के गीता उपदेश में श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं कि –
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युथानम अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम।
परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम,धर्मं संस्थापनार्थाय संभावमि युगे युगे।
अर्थात जब जब सत्य और धर्म की हानि हो जाती है तथा अधर्म और असत्य की वृद्धि हो जाती है तब तब मैं साधु पुरुषों का उद्धार करने, दुष्टों का नाश करने तथा धर्म की पुनः स्थापना के लिए मैं युग युग में प्रकट होता हूँ।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है ?
भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे जो धर्म की रक्षा तथा दुष्टों का विनाश करने के लिए देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में अवतरित हुए थे। श्री कृष्ण के मामा कंस जो की एक बहुत ही अत्याचारी राजा था को आकाशवाणी द्वारा यह पता चला की उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा। यह जानकर वह अपने बहन को ही मारने के लिए तैयार हो गया परन्तु देवकी के पति वासुदेव के यह कहने पर की वह प्रत्येक पुत्र को उन्हें सौप देंगे, इस पर देवकी को छोड़ दिया और दोनों को कारागार में बंद कर दिया।
समय बीतने के साथ कंस देवकी के एक एक करके प्रत्येक पुत्र को मरता गया धीरे धीरे वह समय आने वाला था जब देवकी के आठवें पुत्र के रूप में श्री कृष्ण का जन्म होने वाला था जिसका सबको इंतजार था।
जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ तब भगवान स्वयं चतुर्भुज रूप में प्रकट होकर वासुदेव से बोले कि मैं ही तुम्हारी आठवीं संतान हूँ और कहे की इस बालक को गोकुल में नंदजी के घर छोड़ आओ। वासुदेव कृष्ण को एक टोकरी में ले जाने लगे तभी वासुदेव के शरीर का जंजीर अपने आप ही खुल गया और सब पहरेदार मूर्छित हो गए तथा सब द्वार अपने आप ही खुल गए।
रास्ते में एक नदी थी जिसको पार करके वासुदेव श्री कृष्ण को लेकर नंदजी के घर पहुंचे। नंदजी के घर में जन्मे हुए पुत्री जो की महामाया थीं से अपने पुत्र को बदल कर पुत्री को कारागार में ले आये तथा कृष्ण को मैया यसोदा के पास छोड़ आये। जब कंस को समाचार मिलता है की आठवें संतान के रूप में पुत्री का जन्म हुआ है तब वह उसे मरने के लिए कारागार जाता है।
जैसे ही कंस उस कन्या को मारने के लिए अपने हाथ में लेता है वह आसमान में जाकर विराट अष्टभुज रूप धारण कर लेती हैं और कंस से कहती हैं की तुम्हारा वध करने वाला तो जन्म ले चुका है और उसके पश्चात् वह अदृश्य को जाती हैं। उनके विराट रूप को देखकर और वाणी को सुनकर कंस बुरी तरह डर जाता है।
इसके पश्चात कंस श्री कृष्ण को मरने के लिए तरह तरह का उपाय करता है लेकिन वह हमेशा असफल हो जाता है। उधर गोकुल में भगवान श्री कृष्ण विभिन्न प्रकार की बाल लीलाएं करते हैं और पुरे गोकुल को आनन्द प्रदान करते हैं। वह सबको अपने प्रेम के रंग में रंग देते हैं और समस्त संसार को सच्चे प्रेम की परिभाषा बताते हैं। श्री कृष्ण राधा जी और अन्य गोपियों के साथ रास लीलाएं करते हैं। आखिर में वह समय आता है जब कृष्ण मथुरा में जाकर कंस का वध करते हैं तथा समस्त मथुरा को कंस के अत्याचारों से मुक्त करते हैं। कंस को मारकर श्री कृष्ण यह सन्देश देतें हैं की अधर्म पर धर्म की विजय होती है।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में ही कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार प्रत्येक वर्ष बड़ी ही धूम – धाम के साथ मनाया जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है ?
कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार अलग – अलग रूपों मे देखने को मिलता है। इस दिन लोग मंदिरों को रंग – बिरंगी फूलों और लाइटों से सजाते हैं, भजन कृतन करते हैं, श्रीकृष्ण को झूला झुलाते हैं, तथा मन्दिरो और घरों में भगवान श्री कृष्ण की मनमोहक छवियाँ भी निकालते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण को माखन बहुत पसंद था इसलिए इस दिन माखन की मटकी को कुछ ऊंचाई पर ऊपर लटका दिया जाता है जिसे लोग एक के ऊपर एक चढ़कर मटकी को तोड़ने की कोशिश करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान के भक्त उपवास भी रहते हैं। क्योकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की व्रत का पालन करने वाले भक्त की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है ?
मथुरा भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान है। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार यहाँ काफी रोचक ढंग से देखने को मिलता है। इस दिन मथुरा के सभी मंदिरों को रंग – बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। इस दिन यहाँ के सड़कों को भी फूलों से सजाया जाता है। यहाँ जगह – जगह पर लोग रासलीला करते है तथा भगवान श्रीकृष्ण की मनमोहक छवियाँ निकालते हैं। भारत के अन्य जगहों के साथ – साथ विदेशों से भी लोग कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार मनाने के लिए यहाँ आते हैं।
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