सर्वप्रथम गुरुत्वाकर्षण के विषय में ब्रम्हपुत्र ने बताया था। गुरुत्वाकर्षण बल का नियम न्यूटन ने अपनी पुस्तक प्रिन्सिपिया में लिखा था।
न्यूटन ने बताया ब्राह्मांड का प्रत्येक कण हर दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है कणों के बीच के इस आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण और इससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।
गुरुत्वाकर्षण बल के नियम
न्यूटन के अनुसार किन्ही दो पिण्डो के बीच कार्य करने वाला गुरुत्वाकर्षण बल कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
F = G m1 m2/r 2
जहाँ G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक हैं।
G (सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण) का मान = 6.67 x 10-11 न्यूटन – मीटर 2 / किलोग्राम 2
G का वीमा = [M-1L3 T-2]
गुरुत्व
गुरुत्वाकर्षण बल वह बल है जो दो वस्तुओं के बीच कार्य करता है यदि इन दोनों वस्तुओं में एक वस्तु पृथ्वी हो तो इस गुरुत्वाकर्षण बल को को गुरुत्व बल कहते हैं।
अर्थात गुरुत्व बल वह बल होता है जिसके द्वारा पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केंद्र की ओर आकर्षित करती है।
गुरुत्वीय त्वरण
जब किसी वस्तु को पृथ्वी के तल से उर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेकते हैं तो एक निश्चित उंचाई पर वस्तु स्थिर हो जाती है और पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण पृथ्वी की ओर गिरना प्रारम्भ कर देती है।
जैसे – जैसे वस्तु पृथ्वी के तल की ओर पहुंचती है वैसे – वैसे उस वस्तु का वेग बढ़ता है।
अर्थात उस वस्तु के वेग में परिवर्तन होता है जिसके कारण त्वरण उत्पन्न होता है इसी त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं इसे ‘g’ से प्रदर्शित करते हैं।
यह एक सदिश राशि है और ‘g’ का मान बदलता रहता है।
g का मान 9.8 मीटर/सेकेण्ड 2 होता है।
‘g’ के मान में परिवर्तन
- g का मान ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है।
- g का मान विषुवत रेखा पर न्यूनतम होता है।
- g का मान केंद्र पर शून्य होता है।
- पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है।
- पृथ्वी के घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम होता है।
- पृथ्वी के घूर्णन गति घटने पर g का मान बढ़ जाता है।
- यदि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमना बंद कर दे तो g का मान बदल जायेगा।
- विषुवत रेखा पर सर्वाधिक, ध्रुवों पर न्यूनतम, केंद्र पर शून्य।
- यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान कोणीय चाल से 17 गुनी अधिक चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर रखी वस्तु का भार शून्य हो जाएगा।
द्रव्यमान
किसी वस्तु में निहित पदार्थों की मात्रा को उस वस्तु का द्रव्यमान कहते हैं, द्रव्यमान सदैव निश्चित रहता है। यह एक अदिश राशि है।
भार
पृथ्वी जिस बल के साथ किसी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है, उसे वस्तु का भार कहते हैं। भार बदलता रहता है।
महत्वपूर्ण नोट्स – चन्द्रमा पर वस्तु का भार पृथ्वी पर वस्तु के भार के 1/6 गुना होता है।
सूर्य पर वस्तु का भार पृथ्वी की अपेक्षा 22 गुना अधिक होता है।