- कोठारी आयोग स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आयोग था।
- स्वतंत्रता के बाद भारतीय शिक्षा में तीव्रगामी संख्यात्मक बृद्धि हुई तथा संविधान के प्रावधानों को पूरा नहीं किया गया।
- सामजिक, आर्थिक, राजनैतिक तथा सभी स्थलों पर शिक्षा के आयोग की मांग की जा रही थी।
- 14 जुलाई 1964 को भारत सरकार ने दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में शिक्षा आयोग का गठन किया।
- शिक्षा आयोग में अध्यक्ष, सचिव तथा सदस्य सचिव के अतिरिक्त 14 अन्य सदस्य थे।
- आयोग ने 100 दिन तक राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में 9000 से अधिक व्यक्तियों के साक्षात्कार लिए।
- 20 जुलाई 1966 को 673 पृष्ठों की रिपोर्ट भारत सरकार को सौंप दी।
शिक्षा आयोग के प्रमुख सुझाव
शिक्षा आयोग तथा शिक्षा के उद्देश्य
- राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।
- आधुनिकीकरण में तेजी।
- सामाजिक, नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों का विकास।
शिक्षा आयोग तथा शिक्षा की संरचना
- आयोग ने 1 से 3 वर्ष की पूर्व प्राथमिक, 10 वर्ष की अनिवार्य सामान्य शिक्षा, 2 वर्ष की उच्चतर माध्यमिक शिक्षा तथा उपाधि के लिए 3 वर्ष का समय निर्धारित किया।
- अध्यापकों की दशा सुधारने हेतु वेतनमान में संशोधन, पदोन्नति, अध्यापक कल्याणकारी कार्यक्रम तथा संशाधन उपलब्ध कराना।
- आयोग ने अध्यापक प्रशिक्षण के लिए व्यवस्थाओं को सुद्रिण करने आवश्यकता के अनुरूप शिक्षण संस्थान स्थापित करने पर बल दिया।
- नामांकन की संख्या बढ़ाने के लिए कम से कम 7 वर्ष की निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने पर बल दिया।
- आयोग ने शैक्षिक समानता, स्कूली शिक्षा का विस्तार, स्कूलों की शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा आदि के सन्दर्भ में भी अपने सुझाव दिए।
- आयोग ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव करने के उद्देश्य से 1 से 4 तक मातृभाषा अथवा प्रादेशिक भाषा, 5 से 7 तक दो भाषा तथा कक्षा 8 से 10 तक तीन भाषा का सुझाव दिया।
संस्कृत आयोग (1956 – 1957)
संस्कृत आयोग का गठन संस्कृत शिक्षा, संस्कृत भाषा के शिक्षण, संस्कृत विश्वविद्यालयों की दशा, संस्कृत का संरक्षण तथा संस्कृत में अनुसंधान कार्य करने सम्बन्धी विचारों को लेकर भारत सरकार ने अक्टूबर 1956 में डा० सुमित कुमार दुबे की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जिसे संस्कृत आयोग कहा गया।
राष्ट्रीय अध्यापक आयोग प्रथम 1983
भारत सरकार ने अध्यापकों के स्थिति में सुधार हेतु प्रोफ़ेसर डी० पी० चट्टोउपाध्याय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की।
राष्ट्रीय अध्यापक आयोग प्रथम ने 1985 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे 1987 में सावर्जनिक किया गया।
राष्ट्रीय अध्यापक आयोग द्वितीय 1983
उच्च शिक्षा में कार्यरत अध्यापकों की स्थिति उन्नयन हेतु प्रो० रईस अहमद की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अध्यापक आयोग द्वितीय का गठन किया गया।
राष्ट्रीय अध्यापक आयोग के प्रमुख सुझाव
संविधान के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए शिक्षा एक प्रमुख शाधन है।
शिक्षा के उद्देश्यों को पूर्ण करने में अध्यापकों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
अध्यापकों की स्थिति में उन्नयन के बाद ही अन्य प्रकार के उद्देश्यों को पूर्ण किया जाता है।
कोठारी आयोग पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्न – उत्तर
प्रश्न- कोठारी आयोग के अध्यक्ष कौन थे ?
डा० दौलत सिंह कोठारी
प्रश्न- कोठारी आयोग का अन्य नाम क्या है ?
राष्ट्रीय शिक्षा आयोग
प्रश्न- कोठारी आयोग में कुल कितने सदस्य थे ?
17 सदस्य (इनमें से 6 विदेशी थे)
प्रश्न- पूर्व प्राथमिक का सुझाव किस आयोग ने दिया ?
कोठारी आयोग ने (L.K.G, U.K.G)
प्रश्न- कोठारी आयोग पहला विस्तृत आयोग था, इसने क्या सिफारिस की थी ?
सम्पूर्ण राष्ट्र में एक समान शिक्षा संरचना लागू करने की।
प्रश्न- कोठारी आयोग का सर्वप्रथम उद्देश्य क्या था ?
शिक्षा द्वारा उत्पादन में बृद्धि करना (विज्ञान की सहायता से)