सहानुभूति का अर्थ
सहानुभूति को अंग्रेजी में ‘Sympathy’ कहते हैं। यह एक कोमल मानसिक भावना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है – ‘दूसरों के साथ अनुभव करना।’
सहानुभूति दूसरे व्यक्ति के स्थान पर अपने को समझने को और किसी विशेष परिस्थिति में जैसा वह अनुभव करेगा, वैसा स्वयं अनुभव करने की क्षमता है।
जैसे – किसी व्यक्ति को दुखी देखकर स्वयं उसके साथ दुःख के संवेग का अनुभव करना।
लेकिन यह आवश्यक नहीं है की सहानुभूति में हमेशा दया या पीड़ा की भावना होती है। जब किसी की भावनाएं हमारे ह्रदय को स्पर्श करती हैं तभी सहानुभूति उत्पन्न होती हैं।
सहानुभूति की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने सहानुभूति की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं –
रॉस के अनुसार, “सहानुभूति सामूहिकता की मूल – प्रवृत्ति का भाव पक्ष है।”
ड्रेवर के अनुसार, “सहानुभूति दूसरों के भावों और संवेगों में केवल देख लेने पर अनुभव करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है।”
स्किनर के अनुसार, “सहानुभूति का तात्पर्य एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संवेग का संचार है।”
सहानुभूति के प्रकार
सहानुभूति मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं जिनके नाम नीचे दिए गये हैं –
- निष्क्रिय सहानुभूति
- सक्रिय सहानुभूति
निष्क्रिय सहानुभूति
निष्क्रिय सहानुभूति में हम दूसरों के भावों और संवेगों का अनुभव मात्र करते हैं।
जैसे – किसी को दुखी से रोते देखकर स्वयं भी रोने लगना या हंसते देखकर हंसने लगना।
यह मौलिक और कृत्रिम सहानुभूति है। यह दो प्रकार का होता है –
- दुःख दर्द, परेशानी एवं भय आदि संवेगों से सम्बन्धित सहानुभूति।
- प्रसन्नता, सुख और आनन्द से सम्बन्धित सहानुभूति।
सक्रिय सहानुभूति
सक्रिय सहानुभूति में हम दूसरों के भावों और संवेगों का अनुभव करते हैं। और उसके लिए कुछ करने को सक्रिय हो उठते हैं।
जैसे – भिखारी की दीन – हीन दशा तथा आवाज सुनकर, द्रवित होकर उसकी सहायता करना।
वैलेन्टाइन ने कहा है कि – “सक्रिय सहानुभूति वह प्रक्रिया हैं, जिसके द्वारा दूसरों को हम अपनी सहायता या संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं।”
शिक्षा में सहानुभूति की उपयोगिता
शैक्षिक दृष्टि से सहानुभूति का बहुत महत्त्व है। सहानुभूति द्वारा बालकों में अनेक गुणों और क्षमताओं का विकास किया जा सकता है। शिक्षा में सहानुभूति की उपयोगिता निम्नलिखित है –
- सहानुभूति के द्वारा शिक्षक बालकों की समस्याओं को भली – भांति समझकर, उनका समुचित समाधान कर सकता है।
- सहानुभूति के द्वारा शिक्षक बालकों में सीखने के प्रति रूचि जागृत कर सकता है। सहानुभूति प्राप्त होने पर बालक का पढ़ने में मन लगता है।
- सहानुभूति द्वारा अनुशासन की समस्या का समाधान सरलता से किया जा सकता है।
- सहानुभूति द्वारा बालक का संवेगात्मक विकास किया जा सकता है।
- सहानुभूति द्वारा नैतिकता तथा सौन्दर्यानुभूति का विकास किया जा सकता है।
- सहानुभूति बालक के सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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