भाग – 1 में भारतीय संघ एवं उसके राज्य (प्रांत) के बारे में प्रावधान किये गये हैं। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उस समय केवल 14 प्रांत थे।
संसद को इतनी शक्ति है कि वह चाहे तो दो राज्यों को मिलाकर एक तीसरे राज्य का गठन कर सकती है लेकिन बनाने से पहले संसद राज्य की विधानसभा से पूछेगी तब बना सकती है।
संसद राज्यों का नाम बदल सकती है। राज्य से पूछ करके सीमा में भी परिवर्तन कर सकती है।
अनुच्छेद – 1
भारत अर्थात इण्डिया राज्यों का संघ होगा।
अनुच्छेद – 2
संसद को नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना के सम्बन्ध में विधि का अधिकार है।
अनुच्छेद – 3
संसद किसी नये राज्य का निर्माण, गठन एवं उसके राज्य क्षेत्र में परिवर्तन कर सकती है परन्तु संसद नये राज्य का गठन करने से पहले उस राज्य की विधानसभा से पूछेगी और विधानसभा से पूर्ण बहुमत से प्रस्ताव पारित होने पर संसद ऐसा कर पायेगी वरना नहीं कर सकती है।
अनुच्छेद – 4
यह संसद को शक्ति देता है की राज्यों के निर्माण एवं परिवर्तन को संख्या 368 के अन्तर्गत नहीं माना जाएगा यह साधारण बहुमत / साधारण विधायी प्रक्रिया द्वारा पारित किया जा सकता है।
मूल संख्या में (26 जनवरी, 1950) 14 राज्य और 5 संघशासित प्रदेश थे। वर्तमान में भारत में कुल 28 राज्य एवं 8 केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
28 राज्य एवं 8 केन्द्रशासित प्रदेश के नाम पढ़ें