जन्म | 7 जुलाई, सन् 1934 ई० |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश के बलिया जिल्रे के चकिया गाँव में |
पिता का नाम | डोमन सिंह |
माता का नाम | लालझरी देवी |
मृत्यु | 19 मार्च, सन् 2018 ई० |
हिन्दी-साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि व साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी का जन्म 7 जुलाई, सन् 1934 ई० को उत्तर प्रदेश के बलिया जिल्रे के चकिया गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम डोमन सिंह तथा इनकी माता का नाम लालझरी देवी था। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के ही एक प्राथमिक विद्यालय में हुई।
आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् ये बनारस चले गये जहाँ पर इन्होंने इण्टर की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इन्होंने सन् 1956 ई० में एम०ए० और 1964 ई० में पी०एच०डी० की।
इन्होंने वाराणसी, गोरखपुर और पडरौना के कई स्नातक-स्नातकोत्तर विद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। इसके पश्चात् केदारनाथ जी सन् 1978 ई० में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग में हिन्दी भाषा के प्रोफ़ेसर नियुक्त हुए। इन्होंने सन् 1999 ई० में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर पद से अवकाश-ग्रहण किया और इसके पश्चात् ये यहीं मानद प्रोफेसर के रूप में जुड़े रहे। लम्बी बीमारी के कारण 19 मार्च, सन् 2018 ई० को इनका निधन हो गया।
सम्मान एवं पुरस्कार
केदारनाथ सिंह जी को अनेक सम्माननीय सम्मानों से सम्मानित किया गया। सन् 198० ई० में इन्हें ‘कुमारन असन’ कविता पुरस्कार तथा सन् 1989 ई० ‘अकाल में सारस’ रचना के लिए ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार प्रदान किया गया। कुछ कारणों से इन्होंने हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा प्रदत्त सर्वोच्च शलाका सम्मान ठुकरा दिया।
सन् 2013 ई० में इन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त इन्हें व्यास सम्मान, उत्तर प्रदेश का भारत-भारती सम्मान, मध्य प्रदेश का मैथिलीशरण गुप्त सम्मान आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया।
कृतियाँ
इनकी पमुख कृतियाँ निम्न हैं-
कविता-संग्रह
1. अभी बिलकुल अभी
2. अकाल में सारस
3. जमीन पक रही है
4. यहाँ से देखो
5. बाघ
6. अनागत
7. फर्क नहीं पड़ता
8. रात
9. तीसरा सप्तक
10. माँझी का पुल
11. बादल ओ
12. आधी रात
13. एक प्रेम-कविता को पढ़कर
14. सूर्य
15. प्रक्रिया
16. जीने के लिए कुछ शर्तें
सम्पादन
1. साखी
2. शब्द
3. ताना-बाना
4. कविता दशक
5. समकालीन रूपी कविताएँ
अलोचना
1. कल्पना और छायावाद
2. मेरे समय के शब्द
3. मेरे साक्षात्कार
4. आधुनिक हिन्दी कविता में बिंबविधान
5. कब्रिस्तान में पंचायत
साहित्य में स्थान
प्रगतिशील लेखक संघ से सम्बद्ध श्री केदारनाथ सिंह जी समकालीन हिन्दी कविता के प्रमुख हस्ताक्षर और आधुनिक हिन्दी कवियों में उच्च स्थान के अधिकारी हैं। आपके मूल्यांकन के लिए आवश्यक है कि इनकी 196० ई० और इसके बाद की कविताओं के माध्य एक विभाजक रेखा खींच दी जाये। अपनी कविताओं के माध्यम से ये भ्रष्टाचार, विषमता और मूल्यहीनता पर सीधा प्रहार करते थे।