महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
जन्म | सन् 1907 ई०, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) |
माता का नाम | हेमरानी |
पिता का नाम | गोविन्दप्रसाद वर्मा |
मृत्यु | 11 सितम्बर, 1987 ई० |
जन्म
रहस्यमय गीतों की अमर गायिका, आधुनिक युग की मीरा श्रीमती महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 ई० में होलिकोत्सव के दिन उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था। इनके पिता का नाम गोविन्दप्रसाद वर्मा था जो भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। इनकी माता का नाम हेमरानी था जो विदुषी और धार्मिक स्वभाव की महिला थीं।
शिक्षा
महादेवी वर्मा की प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में मिशन स्कूल से प्रारम्भ हुई। छोटी अवस्था में ही विवाह हो जाने के कारण कुछ समय तक इनकी शिक्षा स्थगित रही फिर क्रास्थवेट कॉलेज इलाहाबाद में प्रवेश लेने के पश्चात् ये कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं। ये 7 वर्ष के आयु में ही कविता लिखने लगी थीं तथा सन् 1925 ई० मैट्रिक की परीक्षा पास करते-करते ये एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो गयीं। इसके पश्चात इन्होंने सन् 1932 ई० में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की।
कार्य
महादेवी वर्मा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम०ए० करने के उपरान्त प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्य नियुक्त हुईं। कुछ समय तक इन्होंने ‘चाँद’ पत्रिका का सम्पादन किया। इनके जीवन पर महात्मा गाँधी का तथा साहित्य साधना पर रवीन्द्रनाथ टैगोर का विशेष असर पड़ा। इन्होंने नारी-स्वातन्त्र्य के लिए सदैव संघर्ष किया और अधिकारों की रक्षा के लिए नारी का शिक्षित होना आवश्यक बताया। कुछ वर्षों तक ये उत्तर प्रदेश विधान परिषद् की मनोनीत सदस्या भी रहीं। ये प्रयाग में ही रहकर जीवनपर्यन्त साहित्य-साधना करती रही।
उपलब्धि
महादेवी वर्मा को इनकी साहित्य-सेवाओं के लिए राष्ट्रपति ने इन्हें ‘पद्मभूषण ‘ की उपाधि से अलंकृत किया। ‘सेकसरिया’ एवं ‘मंगलाप्रसाद’ पारितोषित से भी इन्हें सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा18 मई, 1983 ई० को इन्हें हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री के रूप में ‘भारत-भारती’ पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया गया। 28 नवम्बर, 1983 ई० को इन्हें इनकी अप्रतिम गीतात्मक काव्यकृति ‘यामा’ पर ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
मृत्यु
11 सितम्बर, 1987 ई० को महादेवी वर्मा इस असार-संसार से विदा हो गयीं। यद्यपि आज ये हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इनके गीत काव्य-प्रेमियों के मानस-पटल पर सदैव विराजमान रहेंगे।
कृतियां
महादेवी वर्मा के काव्य-रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
1. निहार
2. रश्मि
3. नीरजा
4. सान्ध्यगीत
5. दीपशिखा
6. सप्तपर्णा
7. यामा
8. सन्धिनी
9. आधुनिक कवि
10. प्रथम आयाम
11. अग्निरेखा
12. परिक्रमा
इनकी प्रसिद्ध गद्य रचनाएँ निम्न हैं-
1. अतीत के चलचित्र
2. स्मृति की रेखाएं
3. श्रंखला की कड़ियाँ
4. पथ के साथी
5. क्षणदा
6. साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबन्ध
7. संकल्पित
8. मेरा परिवार
9. चिन्तन के क्षण
साहित्य में स्थान
महादेवी वर्मा जी का हिन्दी-साहित्य में विशिष्ट स्थान है। मीरा के बाद ये अकेली ऐसी महिला रचनाकार हैं, जिन्होंने ख्याति के शिखर को छुआ है। इन्होंने गद्य और पद्य दोनों में सृजन कर हिन्दी की अपूर्व सेवा की है। इनके गीत अपनी अनुपम अनुभूतियों और चित्रमयी व्यंजना के कारण हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। कविवर सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ ने अपने शब्दों में इनके बारे में कहा है कि –
हिन्दी के विशाल मन्दिर की वीणापाणि,
स्फूर्ति चेतना रचना की प्रतिभा कल्याणी