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पौधों में अनुकूलन

पौधे और जन्तु जिस परिवेश में रहते हैं, उसे उसका ‘वासस्थान’ कहते हैं। अलग – अलग वासस्थानों में अलग – अलग प्रकार के पौधे उगते हैं। ज़्यादातर पेड़ – पौधों में पत्तियाँ पायी जाती हैं जो अधिकतर हरी होती हैं। कुछ पौधे बहुत बड़े और मजबूत होते हैं तथा कुछ पौधे छोटे व कमजोर होते हैं।

प्रत्येक पेड़ – पौधों का आकार उसके परिवेश के अनुकूल बन जाता हैं, जिसे अनुकूलन कहते हैं।

पौधे विश्व के सभी प्रकार के स्थानों जैसे – मैदानी क्षेत्रों में, जल में, दलदल में, ठंडे प्रदेशों में आदि जगहों पर पाई जाती हैं। वातावरण के आधार पर पौधों को दो मुख्य भागों मे विभाजित किया गया है –

  1. स्थलीय पौधे
  2. जलीय पौधे

स्थलीय पौधे

स्थल पर विभिन्न प्रकार के पेड़ – पौधे उगते हैं। जिन्हे निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है –

  1. मैदानी क्षेत्रों के पौधे
  2. रेगिस्तानी क्षेत्रो के पौधे
  3. पहाड़ी क्षेत्रों के पौधे
  4. अत्याधिक ठंड क्षेत्रों के पौधे
  5. तटीय क्षेत्रों के पौधे

मैदानी क्षेत्रों के पौधे

मैदानी क्षेत्रों के वृक्षों में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • ये वृक्ष बहुत ऊँचे होते हैं।
  • इनकी पत्तियाँ सपाट और पतली होतीं हैं।
  • इनमे अनेक प्रकार की शाखाएँ निकली होती हैं।
  • ये वृक्ष शीत ऋतु में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं।

उदाहरण – पीपल, आम, शीशम आदि।

रेगिस्तानी क्षेत्रों के पौधे  

रेगिस्तानी क्षेत्रों के पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • इन पौधो की पत्तियाँ नुकीली काँटों में बदल जाती है।
  • इन पौधों का जड़तंत्र बहुत ही विकसित होता है।
  • इन पौधों का तना हरे रंग का तथा गूदेदार होता है।
  • इन पौधो में पायी जाने वाली कांटे जन्तुओ से इनकी रक्षा करते हैं।

उदाहरण – नागफनी, कीकर, बेर आदि।

पहाड़ी क्षेत्रों के पौधे

पहाड़ी क्षेत्रों के पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • ये पौधे प्रायः ऊँचे तथा पतले होते हैं।
  • ये पौधे हमेशा हरे – भरे रहते हैं तथा ऊँचे – ऊँचे पर्वतों पर उगते हैं।
  • इन पौधों की पत्तियाँ पतली तथा सुईनुमा होती है।
  • ये पौधे शक्वाकार होते हैं।

उदाहरण – चीड़, स्प्रूस, देवदार आदि।

अत्याधिक ठंड क्षेत्रों के पौधे

अत्याधिक ठंड क्षेत्रों के पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • यहाँ वर्ष भर बर्फ जमा रहता है।
  • यहाँ पर कुछ पौधे जैसे – लेचंस आदि उन स्थानो पर उगते हैं जहाँ बर्फ थोड़ा कम होता है।
  • ये पौधे चौड़ी – चौड़ी चटाईनुमा संरचना में होते हैं।

तटीय क्षेत्रों के पौधे

तटीय क्षेत्रों के पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • ये वृक्ष सदाबहार होते हैं।
  • ये सीधे तथा ऊँचे होते हैं।
  • इनकी पत्तियाँ लम्बी तथा पतली होती है।
  • इनकी जड़े भूमि में अधिक गहराई तक नहीं जाती हैं।

उदाहरण – केला, रबड़, नारियल, ताड़ आदि।

जलीय पौधे

जल के अंदर उगने वाले पौधों को जलीय पौधे कहते हैं। इन्हे जलोदभिद् के नाम से भी जाना जाता है। इन्हे दो भागों में बाँटा जा सकता है –

  1. जल के भीतर उगने वाले पौधे
  2. जल की सतह पर तैरने वाले पौधे

जल के भीतर उगने वाले पौधे

जल के भीतर उगने वाले पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • इनकी पत्तियाँ रिबन जैसी पतली – पतली होती है।
  • ये पौधे जल में घुली वायु को सोखते हैं।
  • इन पौधो के तने वायुकोषों के कारण पतले तथा लचीले होते हैं।
  • कुछ पौधों के जड़े जमीन में स्थिर होती हैं, जो पौधे को स्थायित्व प्रदान करता है।
  • कुछ पौधे पानी में तैरते हैं।

उदाहरण – हाइड्रीला, फेनवार्ट, हार्नवार्ट आदि।

जल की सतह पर तैरने वाले पौधे

जल की सतह पर तैरने वाले पौधे में निम्नलिखित अनुकूलनताएं पाई जाती है –

  • इनकी पत्तियाँ लम्बी व चौड़ी होती है।
  • इनकी पत्तियो के ऊपरी भाग पर रन्ध्र होते हैं।
  • इनके तने स्पंजी तथा वायुकोषों से युक्त होती है।

उदाहरण – जल कुंभी, सिंघाड़ा, कमल आदि।

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