शिक्षण के नवीन उपागम
आज के नोट्स मे आप शिक्षण के नवीन उपागम New Approaches To Teaching के बारे मे जानकारी प्राप्त करेंगे।
New Approaches To Teaching के अन्तर्गत आज आप जिन महत्वपूर्ण नवीन शिक्षण विधाओं के बारे मे अध्ययन करेंगे उनके नाम नीचे दिये गए हैं –
- क्रियापरख शिक्षण
- बालकेन्द्रित शिक्षण
- रुचिपूर्ण शिक्षण
- सहभागी शिक्षण
- बहुस्तरीय शिक्षण
- बहुकक्षा शिक्षण
- निदानात्मक शिक्षण
- उपचारात्मक शिक्षण
क्रियापरख शिक्षण
क्रियापरख शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे बालक को क्रिया के माध्यम से ज्ञान प्रदान किया जाता है इस शिक्षण विधि मे बालक का शरीर एवं मस्तिष्क दोनों कार्य करते है।
कामेनियस के अनुसार – “शिक्षण व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए जिसमे बालक को क्रिया के माध्यम से ज्ञान प्रदान किया जाय।”
क्रियापरख विधि को निम्न नामों से जाना जाता है –
- खेल विधि
- किंडर गार्डन विधि
- मान्टेशरी विधि
- प्रोजेक्ट विधि
- डाल्टन विधि
बालकेन्द्रित शिक्षण
बालकेन्द्रित शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे बालक को केंद्र बिन्दु मानकर विषयवस्तु का निर्धारण किया जाता है। तथा इसमे बालक के रुचियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण कार्य प्रारभ्म किया जाता है।
बालकेन्द्रित शिक्षण का मुख्य उद्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना होता है।
रुचिपूर्ण शिक्षण
रुचिपूर्ण शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे बालक को उसके रुचियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार खेल – खेल मे शिक्षा दी जाती है।
रुचिपूर्ण शिक्षण का उद्देश्य बालक मे सृजनात्मकता का विकास करना है।
सहभागी शिक्षण
सहभागी शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे शिक्षक एवं शिक्षार्थी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसमे शिक्षक निर्देश देते हैं तथा बालक शिक्षक के निर्देशों का पालन करते हैं।
सहभागी शिक्षण का उद्देश्य शिक्षक एवं शिक्षार्थी के सहभागिता से है।
बहुस्तरीय या बहुश्रेणी शिक्षण
बहुस्तरीय शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे शिक्षक उच्च कक्षाओं के छात्रों को एक साथ बैठाकर शिक्षण कार्य करता है। इसमे शिक्षक बालक के रुचियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार बालक को शिक्षा देता है।
बहुकक्षा शिक्षा
बहुकक्षा शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे एक अध्यापक एक कक्षा को न पढ़ाकर कई कक्षाओं को पढ़ाता है। इस प्रकार की शिक्षण क्रिया तभी की जाती है जब प्राथमिक विदद्यालय मे शिक्षक की कमी होती है।
इस शिक्षण मे अध्यापक को कक्षा के मानीटर पर निर्भर रहना पड़ता है।
निदानात्मक शिक्षण
निदानात्मक शिक्षण का अभिप्राय ऐसे शिक्षण से है जिसमे बालक का शिक्षा से संबन्धित त्रुटियों एवं कमजोरियों का पता लगाया जाता है। तथा इन त्रुटियों एवं कमजोरियों को दूर करने के उपाय खोजे जाते हैं।
उपचारात्मक शिक्षण
उपचारात्मक शिक्षण वह शिक्षण होता है जो शैक्षिक रूप से पिछड़े बालकों के लिए उपयोगी होता है। इसमे शिक्षक, शिक्षण के अन्तर्गत बालकों की कठिनाईयों को जानकर उनको दूर करता है।