शिक्षा का वह प्रारूप जिसमे सामान्य बालक एवं विशिष्ट बालक एक साथ अध्ययन करते है, उसे समावेशी शिक्षा कहते है। इस पद्धति मे दोनों बालकों के लिए एक ही अध्यापक, एक ही समय सारणी और एक ही पाठ्यक्रम सुनिश्चित किए जाते है।
विशिष्ट बालक वे बालक होते है जिन्हे अपने सामान्य कार्य को करने के लिए किसी के सहायता की आवश्यकता होती है। अर्थात वे बालक जो शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, एवं संवेगात्मक विशेषताओ मे सामान्य बालकों से भिन्न एवं विशिष्ट होते है। तथा यह विशिष्टता उसे अपनी विकास क्षमता की उच्चतम सीमा तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास या विशेष सहायता या विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
विशिष्ट बालक के प्रकार
विशिष्ट बालक निम्न प्रकार के होते है –
- बौद्धिक (प्रतिभाशाली बालक, मंदित बालक)
- शारीरिक ( दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित, वाणी बाधित, अस्थि बाधित)
- मानसिक
- अधिगम असमर्थी
प्रतिभाशाली बालक
वे बालक जिनका I.Q सामान्य बालको के I.Q के स्तर से बहुत अधिक उच्च होता है, प्रतिभाशाली बालक कहलाते है।
टर्मन ने प्रतिभाशाली बालको की I.Q 140, डनलव ने 132 तथा वैशलर ने 130 माना है। सामान्यतः 130 या उससे अधिक I.Q वाले बालक प्रतिभाशाली के श्रेणी मे आते है।
मंदित बालक
वे बालक जिनकी मानसिक योग्यता औसत से कम होती है, उन्हे मंदित बालक कहते है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, “जिन बालको का I.Q 70 से कम होता है उन्हे मन्द बुद्धि बालक कहते हैं।”
मन्द बुद्धि बालक दो प्रकार के होते है –
धीमी गति से सीखने वाले बालक
गंभीर श्रेणी के बालक
दृष्टि बाधित बालक
देखने मे असमर्थ बालको को ब्रेल लिपि के द्वारा पढ़ाया जाता है। ब्रेल लिपि को लुईस ब्रेल ने बनाया था जिसे स्नैलन चार्ट के नाम से जाना जाता है।
निकट दृष्टि दोष | अवतल लेंस |
दूर दृष्टि दोष | उत्तल लेंस |
श्रवण बाधित बालक
सुनने मे असमर्थ बालकों को श्रवण बाधित बालक कहते हैं।
ध्वनि का मात्रक डेसीबल होता है।
कम श्रवण बाधित बालक | 35 से 51 डेसीबल |
मन्द श्रवण बाधित बालक | 55 से 69 डेसीबल |
गंभीर श्रवण बाधित बालक | 70 से 89 डेसीबल |
पूर्ण श्रवण बाधित बालक | 90 से 100 डेसीबल |
श्रवण बाधित के लिए शिक्षण तकनीकि का प्रयोग किया जाता है जैसे –
- चिन्ह भाषा
- संकेत
- स्पर्श
- गतिविधि
- ध्वनि विस्तारक यंत्र
वाणी बाधित बालक
जिन बालकों को भाषा बोलने मे समस्या होती है उन्हे वाणी बाधित बालक कहते है।
ये तीन प्रकार के होते है –
- आवाज का व्यवस्थित न होना।
- उच्चारण मे स्पष्टता।
- धारा प्रवाह अभिव्यक्ति न होना।
अस्थि बाधित बालक
ऐसे बालक जिनकी अस्थियाँ, अस्थियों का जोड़ या शरीर मे विभिन्न मांशपेशीया सुचारु रूप से कार्य नहीं करते हैं। जिसके कारण उन्हे विशिष्ट सहायता जैसे कृत्रिम हाथ – पैर या आवश्यकता के अनुरूप आकृतियाँ देनी पड़ती है, अस्थि बाधित बालक कहलाते हैं।
अस्थि बाधितों हेतु राष्ट्रीय संस्थान
मानसिक मंदित का राष्ट्रीय संस्थान | सिकंदराबाद |
दृष्टि बाधितों का राष्ट्रीय संस्थान | देहरादून (उत्तराखंड) |
श्रवण बाधितों का राष्ट्रीय संस्थान | मुम्बई |
अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण बाधित संस्थान | मुम्बई |
अस्थि बाधित का राष्ट्रीय संस्थान | नई दिल्ली |
पुनर्वास प्रशिक्षण एवं शोध राष्ट्रीय संस्थान | कटक (उड़ीसा) |
लिमको – कृत्रिम अंगो के निर्माण हेतु संस्थान | कानपुर |
अधिगम असमर्थी बालक
अधिगम असमर्थी बालक से तात्पर्य ऐसे बालकों से है। जो बालक भाषा को बोलने एवं समझने मे शारीरिक व मानसिक अथवा दोनों के कारण असमर्थ हैं। अर्थात ऐसे बालक, सुनने, समझने, बोलने, लिखने, पढ़ने या गणितीय संक्रियाओ मे अयोग्यता आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से अभिव्यक्ति करते हैं।
अधिगम असमर्थी बालक के प्रकार
डिसग्राफिया | लेखन संबंधी |
डिलेक्सिया | पठन संबंधी |
डिस्केल्कूलिया | गणना संबंधी |
डिस्प्रेकसिया | लेखन, पठन एवं गणना संबंधी |
अफेज्या | भाषा संबंधी या विचार अभिव्यक्ति संबंधी समस्या |
डिस्फेजिया | मानसिक विकार के कारण भाषा संबंधी समस्या |
डिस्मोराफिया | शारीरिक समस्या या सुंदरता विकार |
डिस्थीमिया | तनाव संबंधी |
वुलिमिया | भूख विकार |
इसे भी पढ़ें –
वायु, जल, ध्वनि और मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं ?