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वंशानुक्रम और पर्यावरण

वंशानुक्रम क्या है?

माता पिता एवं पूर्वजो के द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे स्थानांतरित किए जाने वाले गुणो के योग को वंशानुक्रम कहते है। यह एक जन्मजात योग्यता है जिसे सीखा एवं अर्जित नहीं किया जा सकता है।

वंशानुक्रम की परिभाषा 

वुडवर्थ के अनुसार, “ वंशानुक्रम मे वे सभी बातें समाहित रहते है जो जीवन का प्रारम्भ करते समय, जन्म के समय नहीं बल्कि जन्म के 9 माह पूर्व गर्भाधान के समय उपस्थित होते हैं।”

जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “ वंशानुक्रम शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओ का माता – पिता से उनके बच्चों मे स्तांतरण है।”

आनुवांशिक गुणो का हस्तनान्तरण एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी मे पैतृक/ जीन्स / कारक के द्वारा होता है। ये पैतृक गुण सूत्रो के अंश होते हैं। मनुष्यों मे 23 जोड़े गुण सूत्र होते है। पुरषो का 23 वां गुण सूत्र लिंग निर्धारक गुण सूत्र कहलाता है।

वर्णांधता और हीमोफीलिया आनुवांशिक रोग है जिसमे क्रमशः रंगो मे अंतर करना एवं रक्त का जमना बाधित होता है। महिलाएँ इन आनुवांशिक रोगों की वाहक होती है तथा इनका प्रभाव पुरषो पर दिखाई पड़ता है।

वंशानुक्रम के नियम

  1. समानता के नियम
  2.  विभिन्नता के नियम
  3. चयनात्मक गुणो का नियम
  4. प्रत्यागमन का नियम
  5. संयोग का नियम

वंशानुक्रम के सिद्धान्त

निरन्तरता का सिद्धान्त  –  वीजमैन
बायोमैट्रिक का सिद्धान्त –  गाल्टन
उपार्जित लक्षणो का सिद्धान्त –  लैमार्क
प्रकृति चयन का सिद्धान्त –  डार्विन
प्रभावित और पृथककरण का सिद्धान्त –  मेंडल

वातावरण का अर्थ

वातावरण से आशय हमारे चारो ओर के परिवेश से है। जो हम पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते है।
वातावरण के लिए पर्यावरण शब्द का भी प्रयोग किया जाता है। पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण
परि का अर्थ होता है – ‘चारो ओर’ और आवरण का अर्थ होता है – ‘ढकने वाला’

वातावरण की परिभाषा 

वुडवर्थ के अनुसार, “ वातावरण मे वे सभी वाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होने जीवन प्रारम्भ करने के समय से व्यक्ति को प्रभावित किया है।”

रास के अनुसार, “ वातावरण, वह बाहरी शक्ति है जो हमे प्रभावित करती है।”

इस प्रकार विकास की प्रक्रिया मे वंशानुक्रम बीज के समान होता है और वातावरण उस बीज के विकास की सम्भावना का निर्धारण अर्थात पोषण होता है।

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