कम्प्यूटर की इनपुट यूनिट (निवेश इकाई )के माध्यम से आकड़े तथा निर्देश कंप्यूटर में प्रविष्ट किये जाते है। इसके लिए विभिन्न ‘इनपुट डिवाइस’ का प्रयोग किया जाता है।
इनपुट डिवाइस
कंप्यूटर को जो भी डाटा दिया जाता है,वह इनपुट डाटा कहलाता है। तथा जिस डिवाइस के माध्यम से दिया जाता है वह इनपुट डिवाइस कहलाता है।
कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस –
- कुंजीपटल (keyboard)
- माउस (Mouse)
- लाइटपेन (Light Pen)
- ट्रैकबॉल (Track Ball)
- स्कैनर (Scanner)
- वेबकैमरा (Web Camera)
- मार्क सेन्स रीडर (Mark Sense Reader)
- टच स्क्रीन (Touch Screen)
- माइक (Mike)
- जॉयस्टिक (Joystick)
आउटपुट डिवाइस
ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो डाटा को प्रोसेस करने के उपरान्त हमें रिजल्ट देते है,उसे आउटपुट डिवाइस कहते है।
कुछ प्रमुख आउटपुट डिवाइस
- मॉनीटर
- प्रिंटर
- स्पीकर
- प्लाटर
- कार्ड रीडर
C.P.U की संरचना
Input Unit,Output Unit, व C.P.U के सहसयोजन से ही सम्पूर्ण कम्प्यूटर बनता है। कंप्यूटर द्वारा प्रक्रिया करने हेतु केंद्रीय संसाधन इकाई (C.P.U) को तीन भागों में बाँटा गया है-
- मुख्य स्मृति (Main Memory)
- नियंत्रण इकाई (Control Unit)
- अंकगणितीय एवं तार्किक इकाई (Arthmatic And Logic Unit)
स्मृति (Memory)
मेमोरी C.P.U (Central Processing Unit ) का एक अभिन्न अंग है। कम्प्यूटर में किसी भी निर्देश,सूचना,अथवा,परिणाम को संचित करने के लिए प्रयोग किये जाने वाली डिवाइस मेमोरी कहलाती है। C.P.U में होने वाली समस्त क्रियाएँ सर्वप्रथम मेमोरी में जाती है। कम्प्यूटर की मेमोरी C.P.U का ही एक भाग है। मेमोरी में अक्षरों को बाइट द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। एक बाइट में आठ बिट होते है। मेमोरी की क्षमता व आकार मापने की न्यूनतम इकाई बाइट कहलाती है।
1 Nibble = 4 Bits
1 Byte = 8 Bits
1024 Byte = 1KB
1024 KB = 1MB
1024 MB = 1GB
1024 GB = 1 TB
मेमोरी के प्रकार :- मेमोरी दो प्रकार की होती है –
1. प्राइमरी मेमोरी :- यह कम्प्यूटर का एक भाग होता है। इसमें जो डाटा स्टोर किया जाता है वह अस्थाई होता है। अर्थात कम्प्यूटर बंद होने पर उसका डाटा डिलीट हो जाता है।
प्राइमरी मेमोरी दो प्रकार के होते है –
- RAM (Random Access Memory)
- ROM (Read Only Memory)
RAM (Random Access Memory) :- RAM को Random Access Memory कहते है कंप्यूटर में जब कोई डाटा इनपुट किया जाता है तो वह सबसे पहले RAM में ही जाता है। इसके बाद प्रोसेसिंग के लिए जाता है। इसी प्रकार प्रोसेसिंग के बाद जो आउटपुट आता है वह RAM में ही आता है।
RAM तीन प्रकार के होते है –
1. SRAM :- इसका पूरा नाम Static Random Access Memory है इसका निर्माण फिलिप फिलो से होता है। इसकी डाटा को Access करने की गति तेज होती है यह मँहगी मेमोरी होती है।
2. DRAM :- इसका पूरा नाम Dyanamic Random Access Memory है इस RAM को बार-बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है रिफ्रेश का मतलब चिप को change करना होता है। रिफ्रेश अधिक होने से इसकी डाटा एक्सेस गति कम होती है। इसलिए यह SRAM की तुलना में सस्ती होती है।
3. NVRAM :– इसका पूरा नाम Non Volatile Random Access Memory है। इस RAM में डाटा को स्थाई रूप से Save किया जाता है। इसका प्रयोग Networking डिवाइस में हार्ड डिस्क की तरह किया जाता है।
ROM (Read Only Memory) :- ROM एक प्राइमरी मेमोरी है। इसका पूरा नाम Read Only Memory है। इसमें डाटा स्थाई रूप से स्टोर रहता है। अर्थात कम्प्यूटर बंद होने पर इसमें स्टोर डाटा डिलीट हो जाता है। इसके डाटा को डिलीट व एडिट नहीं किया जा सकता है। इसलिए इसको Read Only Memory कहते है।
ROM तीन प्रकार के होते है –
1. PROM :- इसका पूरा नाम Progaramable Read Only Memory होता है। इसमें एक बार प्रोग्राम लोड होने के बाद उसमे एडिटिंग का कार्य नहीं किया जा सकता है। कोई भी प्रोग्राम एक बार में सही तरीके से नहीं बन पाता है। कोड की जगह चिप को ही बदालना पड़ता है।
2. EPROM :- इसका पूरा नाम Eraseble Progaramable Read Only Memory है। इसमें एक बार प्रोग्राम लोड होने के बाद उसमे एडिटिंग का कार्य करने के लिए चिप को बोर्ड से निकालकर पराबैंगनी किरणों के सामने रखकर उसके डाटा को डिलीट किया जाता है। यह एक कठिन और मंहगी प्रक्रिया है।
3. EEPROM :- इसका पूरा नाम Electronic Eraseble Read Only Memory होता है। इसमें एक बार प्रोग्राम लोड होने के बाद उसमे एडिटिंग का कार्य करने के लिए चिप को बोर्ड से निकालने की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक सरल और सस्ती प्रक्रिया है।
2. सेकण्डरी मेमोरी :- यह कंप्यूटर का भाग नहीं होता है इसको कम्प्यूटर में अलग से जोड़ा जाता है। इसमें जो डाटा स्टोर किया जाता है वह स्थाई होता है। अर्थात कम्प्यूटर बंद होने पर उसका डाटा डिलीट नहीं होता है। इस मेमोरी में डाटा को इसलिए Save करते है ताकि इसका प्रयोग भविष्य में किया जा सके।
कण्ट्रोल यूनिट :- यह कम्प्यूटर का नाड़ी तंत्र कहलाता है इसमें माइक्रो प्रोसेसर रहता है इसके मुख्य कार्य है – 1. इनपुट और आउटपुट डिवाइस तथा अन्य हार्डवेयर को नियंत्रित करना।
2. ALU (Arithmatic And Logical Unit ) के कार्यों को नियंत्रित करना।
3. Main Memory से डाटा लाना तथा उन्हें तत्कालिक रूप से स्टोर करना
4. निर्देशों को पढ़ना और उन्हें कार्यन्वित करने के आदेश देना।
अंकगणितीय व तार्किक इकाई (ALU ) :- यह इकाई आकड़ो पर अंकगणितीय क्रियाएँ (जोड़,घटाना,गुणा,भाग) और तार्किक तुलना करती है। ALU आकड़ो पर निर्देश के अनुसार प्रक्रिया करने में तार्किक निर्णय करने का कार्य करती है। ALU में अंकों की गणना द्वि-अंकीय प्रणाली की गणनाओं पर आधारित है।
अपना कीमती समय देने के लिए धन्यबाद।