गति
- गति एक घटना हैं।
- समय के साथ स्थिति में होने वाले परिवर्तन को गति कहते हैं।
- यदि समय के साथ स्थिति में कोई परिवर्तन न हो तो वह विराम कहलाता हैं।
निर्देश बिंदु अथवा मूल बिंदु
जहाँ दिशा एवं दूरी दोनों का ज्ञान होता हैं निर्देश बिंदु कहलाता हैं।
जैसे – रायबरेली बाई पास से 1 किमी सीधा पूर्व नाका बाई पास हैं।
गति का वर्गीकरण तीन रूपों में किया गया हैं –
विमीय आधार पर गति तीन प्रकार के होते हैं –
1. एक विमीय गति
यदि कोई पिण्ड किसी भी दिशा में एक सरल रेखा में गति करता हैं।अर्थात (लम्बाई , चौड़ाई अथवा ऊँचाई में से किसी एक में परिवर्तित हो )
जैसे – सीधी सड़क पर गतिमान वाहन, एक निश्चित ऊंचाई से गिराई गई वस्स्तु।
2. द्विविमीय गति
जब कोई पिण्ड एक ऐसे तल में गति करता हो कि उसके द्वारा लम्बाई, चौड़ाई अथवा ऊंचाई किसी दो में परिवर्तन हो तो उसे द्विविमीय गति कहते हैं।
जैसे – तोप से निकला हुआ गोला, नदी में नाव की गति, किक मारने के बाद हवा में उछाला गया फुटबाल।
परवलय आकार की सभी गति द्वविमीय गति होती हैं।
3. त्रिविमीय गति
जब कोई पिण्ड इस प्रकार गति कर रहा हो कि समय के साथ उसकी स्थिति तीनो विमाओ में परिवर्तन होता हैं त्रिविमीय गति कहलाता हैं।
जैसे – पंक्षियो की गति, वायु में धूल के कणों का मिश्रण, पतंगों की गति आदि।
पथ के आधार पर गति मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं –
स्थानान्तरीय गति
इस प्रकार के गति में गतिमान पिण्ड के स्थान में परिवर्तन होता हैं।
जैसे – पृथ्वी की गति, वाहन की गति, पिण्ड की गति।
स्थानान्तरीय गति को चार भागो में बांटा गया हैं –
सरल रेखीय गति
जब कोई कण अथवा पिण्ड एक सरल रेखा में गति करता हैं उसे सरल रेखीय गति कहते हैं।
जैसे – कदम-ताल करती हुई सैनिक, सीधी सड़क पर वाहन का सीधा जाना।
वक्रीय गति
जब कोई पिण्ड किसी घुमावदार पथ पर गति करता हैं तो उसकी गति वक्रीय गति कहलाती हैं।
इस गति में पिण्ड की दिशा में परिवर्तन के साथ-साथ उसका वेग भी परिवर्तित रहता हैं।
जैसे – घुमावदार सड़क पर मुड़ती हुई वाहन, खिलाड़ी द्वारा वास्केटबाल को वास्केट में डालना।
वृत्तीय गति
जब कोई पिण्ड किसी वृत्ताकार पथ पर गति करता हैं तो उसकी गति वृत्तीय गति कहलाता हैं।
जैसे – वृत्ताकार पथ पर धावक की गति, सूर्य के चारो ओर पृथ्वी की गति, आदि।
अनियमित गति
जब कोई पिण्ड किसी अनिश्चित पथ पर अनिश्चित दिशा में अव्यवस्थित गति करता हैं तो इसे अनियमित गति कहते हैं।
जैसे – चीटिंयो की गति, पक्षियों की गति, वायु में मिश्रण आदि।
घूर्णन गति
जब कोई पिण्ड अपने अक्ष के चारो ओर गति करता हैं तो वह उस पिण्ड की घूर्णन गति कहलाता हैं।
महत्वपूर्ण नोट्स –
घूर्णन गति तथा वृत्तीय गति में मुख्य अंतर यह होता हैं कि वृत्तीय गति में पिण्ड केंद्र से अलग स्थिति में होता हैं जबकि घूर्णन गति में पिण्ड केंद्र के अंदर स्थित होता हैं।
जैसे – वाहन के पहिये, लट्टू की गति।
दोलन गति या कम्पन गति
जब कोई पिण्ड अपने मध्य स्थित के आगे-पीछे अथवा ऊपर नीचे गति करता हैं। तो दोलन गति या कम्पन गति कहलाता हैं।
जैसे – घडी के पेंडुलम की गति, स्प्रिंग की गति, झूले की गति, डोरी, धागा के बने यन्त्रो की गति।
प्रक्षेप्य गति
पृथ्वी से आकाश की ओर फेंकी गई वस्तु पुनः नीचे आने की क्रिया प्रक्षेप्य गति कहलाता हैं।
प्रक्षेप्य का पथ परवलयकार होता हैं।
जैसे – तोप से निकला हुआ गोला, गेंदबाज़ के द्वारा फेंका गया गेंद।
दोहराव के आधार पर गति दो प्रकार के होते हैं-
सरल आवर्त गति
जब कोई पिण्ड एक सरल रेखा में एक निश्चित समय में आगे-पीछे गति करता हैं तो इस गति को सरल आवर्त गति कहते हैं।
जैसे – घड़ी के लोलक की गति, स्प्रिंग की गति।
सरल आवर्त गति दोलनी होती हैं।
आवर्त गति
जब किसी गतिमान पिण्ड द्वारा एक ही पथ में एक निश्चित समयांतराल में अपनी गति पुनरावृत्ति की जाती हैं तो इसे आवर्त गति कहते हैं।
जैसे – घड़ी में सेकेण्ड की, मिनट की, घंटा की सुइयों की गति।