HomeChild Development And Pedagogyबाल मनोविज्ञान | STET/UPTET/CTET महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बाल मनोविज्ञान | STET/UPTET/CTET महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

  • मनोविज्ञान विषय की जननी ‘दर्शनशास्त्र’ को माना जाता है।
  • मनोविज्ञान को अंग्रेजी भाषा में ‘PSYCHOLOGY’ कहते हैं।
  • ‘PSYCHOLOGY’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – PSYCHE + LOGOS।
manovigyan
  • ”मनोविज्ञान ने पहले अपनी आत्मा का त्याग किया फिर मन का और बाद में चेतना का त्याग किया” यह कथन वुडवर्थ का है।
  • मनोविज्ञान का जनक ‘अरस्तु’ को माना जाता है।
  • आधुनिक मनोविज्ञान का जनक ‘विलियम जेम्स’ को माना जाता है।
  • मनोविज्ञान की पहली पुस्तक ‘Principle Of Psychology’ 1880 ई० में विलियम जेम्स के द्वारा लिखी गई।

संरचनावादी सम्प्रदाय 

स्थापना – विलियम वुंट

  • विलियम वुंट ने मनोविज्ञान की पहली प्रयोगशाला, 1879 में जर्मनी के लिपजिंग शहर में की थी।
  • प्रयोगवादी मनोविज्ञान के जनक विलियम वुंट हैं।
  • विलियम वुंट ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में पहला प्रयोग किया।

व्यवहारवादी सम्प्रदाय 

स्थापना – जे० वी० वाटसन

अन्य मनोवैज्ञानिक – थार्नडाइक, पावलाव, स्किनर, गुथरी, हल, वुडवर्थ, हरलॉक

मनोविश्लेषणात्मक सम्प्रदाय 

जनक – सिग्मंड फ्रायड (ये आस्ट्रिया के मनिवैज्ञानिक थे)

सहयोगी – एडलर, युंग

गेस्टाल्टवादी सम्प्रदाय 

स्थापना – मैक्स वरदीमर

मुख्य मनोवैज्ञानिक – वोल्फ गैंग कोहलर, कुर्ट कोफ्का, कर्ट लेविन

प्रमुख देन – सूझ का सिद्धांत

प्रकार्यवादी सम्प्रदाय  

स्थापना – विलियम जेम्स

आधार – डार्विन का विकासवाद

  • मनोविज्ञान के प्रयोग एवं निष्कर्ष का शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग करना ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ (जनक – थार्नडाइक) कहलाता है।
  • थार्नडाइक की पुस्तक ‘शिक्षा मनोविज्ञान’ को इस विषय की पहली पुस्तक माना जाता है।
  • बालमनोविज्ञान का जनक ‘हरलॉक’ को माना जाता है।
  • गर्भावस्था से लेकर किशोरावस्था तक बालक में होने वाले स्वाभाविक शारीरिक परिवर्तन को अभिवृद्धि कहा जाता है।
  • अभिवृद्धि के परिणामस्वरूप बालक की कार्यक्षमता में होने वाले बदलाव को विकास कहते हैं।
  • विकास की प्रक्रिया जन्म पूर्व से लेकर जीवन पर्यत्न चलती रहती है।
  • बालक का विकास वंशानुक्रम तथा वातावरण की अन्तःक्रिया का परिणाम होता है।
  • विकास मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों होता है।
  • विकास की निश्चित दिशा होती है जोकि सदैव ‘सिर से पैर की ओर’ होती है।
  • सिर से पैर की ओर होने वाले विकास को मस्तकाधोमुखी विकास कहते हैं।
  • विकास की प्रक्रिया एक निश्चित क्रम का पालन करते हैं जिसमे वह केंद्र से बाहर की ओर चलती है।
  • विकास की प्रक्रिया अपने प्रतिमान के अनुसार चलती है।
  • विकास व्यक्तिगत होता है।
  • विकास की प्रक्रिया अन्तः सम्बंधित होती है।
  • विकास सदैव उपयोगी होता है।
  • विकास में समन्वय अथवा एकीकरण का गुण पाया जाता है।
  • विकास की प्रक्रिया सार्वभौमिक होती है।

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