- किशोरावस्था बालविकास की तीसरी अवस्था है जो बाल्यावस्था के समाप्त के उपरान्त प्रारम्भ होती है।
- 12 वर्ष से 18 वर्ष तक की आयु को किशोरावस्था कहते हैं।
- पूर्व किशोरावस्था 12 से 15 वर्ष होती है।
- पूर्व – किशोरावस्था अत्यन्त द्रुत एवं तीव्र विकास का काल है।
- उत्तर – किशोरावस्था 15 से 18 वर्ष होती है।
- किशोरावस्था को अंग्रेजी भाषा में Adolescence कहते हैं।
- Adolescence लैटिन भाषा के Adolescere शब्द से बना है जिसका तात्पर्य होता है – ‘परिपक्क्वता की ओर बढ़ना’।
- किशोरावस्था को सुनहरी अवस्था या परिवर्तन की अवस्था कहते हैं।
- किशोरावस्था को बसंतकाल एवं अप्रसन्नता का काल भी कहा जाता है।
- किशोरावस्था के विकास के दो सिद्धांत है – त्वरित विकास का सिद्धांत और क्रमित विकास का सिद्धांत
- त्वरित विकास के सिद्धांत का समर्थन स्टेनले हाल ने अपनी पुस्तक ‘एडोलसेन्स’ में किया है।
- त्वरित विकास के सिद्धांत के अनुसार (स्टेनले हाल) किशोर – किशोरी में जो शारीरिक, मानसिक परिवर्तन होते हैं वह एकदम छलांग मारकर आते हैं।
- क्रमित विकास के सिद्धांत का समर्थन थार्नडाइक, किंग और हालिंगवर्थ ने किया है।
- क्रमित विकास के सिद्धांत के अनुसार किशोरावस्था में मानसिक, शारीरिक तथा संवेगात्मक परिवर्तनों के फलस्वरूप जो नवीनताएँ दिखाई देती है वे एकदम न आकर धीरे – धीरे क्रमशः आती है।
किशोरावस्था के अन्य नाम
- जीवन का कठिन काल
- संघर्ष, तूफ़ान, तनाव की अवस्था
- शैशवावस्था की पुनरावृत्ति
- जीवन का बसंतकाल
- जीवन का स्वर्ण काल / सुनहरी अवस्था
- सुन्दरता की आयु
- विद्रोह की आयु
- तीन ऐज / अधपकी उम्र
- तीन S वाली अवस्था
किशोरावस्था की कुछ प्रमुख परिभाषाएं
- ”किशोरावस्था बड़े, दबाव, तनाव, तूफ़ान तथा संघर्ष की अवस्था है।” – स्टेनले हाल (अमेरिका)
- ”किशोरावस्था एक नया जन्म है क्योकि इसी में उच्चतर एवं श्रेष्ठतर मानव विशेषताओं का दर्शन होता है।” – स्टेनले हाल
- ”किशोर ही वर्तमान की शक्ति और भावी आशा को प्रस्तुत करता है।” – क्रो एवं क्रो
- ”इस बात पर कोई मतभेद नहीं हो सकता है कि किशोरावास्था जीवन का सबसे कठिन काल है।” – ई० ए० किलपैट्रिक
- ”किशोरावस्था, शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है।” – रास
- ”किशोरावस्था, बाल्यकाल तथा प्रौढ़ावस्था के मध्य का संक्राति काल है।” – कुल्हन
- ”किशोरावस्था अपराध प्रवृत्ति के विकास का नाजुक समय है।” – वैलेंटाइन
किशोरावस्था की विशेषताएँ
- इस अवस्था में शारीरिक विकास अपनी पूर्णता को प्राप्त कर लेता है।
- काम – प्रवृत्ति परिपक्व होकर विषमलिंगी हो जाती है।
- बालक – बालिकाएं समूह का निर्माण करती हैं।
- इस अवस्था में बालक तथा बालिकाएं अपने समवयस्क समूह का सक्रिय सदस्य बन जाते हैं।
- मित्रता की भावना का विकास होता है।
- समाज सेवा की गुण आ जाती है।
- राजनीतिक दलों का प्रभाव पड़ता है।
- ईश्वर तथा धर्म में विश्वास बढ़ जाता है।
- व्यवसाय के प्रति चिन्ता पायी जाती है।
- रुचियों का परिवर्तन होता है तथा वे अस्थायी हो जाती हैं।
- विद्रोह की भावना देखी जाती है।
- आत्म प्रदर्शन के गुण आ जाते हैं।
- व्यक्तित्व उभयमुखी हो जाता है।
किशोरावस्था में शारीरिक विकास
18 वर्ष पर | |
लम्बाई | 161 सेमी – बालक, 151 सेमी – बालिका |
भार | 53 किग्रा – बालक, 43 किग्रा – बालिका |
मस्तिष्क का भार | 1400 से 1450 किग्रा |
हड्डियाँ | 206 |
मांसपेशियां | सम्पूर्ण भार का 45 % |
दांत | प्रज्ञादन्त |
धड़कन | 72 बार/मिनट |
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