स्मार्ट कक्षाओं से हमारा तात्पर्य ऐसे नवीन शिक्षण प्रक्रिया से है। जहाँ शिक्षा प्रदान कराने के लिए किसी विद्यालय भवन की आवश्यकता नहीं पड़ती है यहाँ तो मात्र नये – नये तकनीकी साधनों द्वारा शिक्षा प्रदान करायी जाती है।
यह कक्षाएं आज श्रम, व्यय एवं समय की बचत का प्रमुख साधन है। इन कक्षाओं में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जाती है। इस शिक्षा के निम्नलिखित माध्यम हैं जैसे – मोबाइल फोन, टेलीकांफ्रेंसिंग, कम्प्यूटर, इन्टरनेट आदि।
स्मार्ट कक्षाओं में छात्र अपनी सुविधा तथा इच्छानुसार अपना रुचिकर विषय चुन लेता है।
स्मार्ट कक्षाओं का अस्तित्व शिक्षा जगत में वर्ष 1930 में उत्तरी अमेरिका से प्रचालन में आया। विश्व में स्मार्ट कक्षाओं का महत्त्व बढ़ता जा रहा है। अधिक खर्चीली व्यवस्था होने के कारण भारत में इस प्रकार की शिक्षा का कार्य एक चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है क्योकि इस प्रकार की कक्षाओं से विद्यार्थी कम्प्यूटर लैब में बैठकर कम्प्यूटर स्क्रीन पर ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करते हैं।
स्मार्ट क्लास की उपयोगिता/महत्त्व
आज के शैक्षिक परिवेश में स्मार्ट कक्षाओं की उपयोगिता तथा महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता है बढ़ती हुई जनसँख्या तथा शिक्षा के नवीन माध्यमों के महत्त्व को निर्धारित करने में स्मार्ट कक्षाओं की उपयोगिता आज के शिक्षा जगत के लिए अमूल वरदान सिद्ध हो रही है।
स्मार्ट क्लास की उपयोगिता निम्न प्रकार से स्पष्ट की जा सकती है –
- स्मार्ट क्लास शिक्षा जगत में अत्यन्त लाभकारी साधन है क्योकि इसके प्रयोग में कहीं आने जाने की जरुरत ही नहीं होती क्योकि कम्प्यूटर स्क्रीन पर सभी तथ्य हमारे सामने उपस्थित होते हैं।
- स्मार्ट क्लास शिक्षण में विद्यालयी हलचल से छुटकारा मिलता है तथा ऐसी कक्षाएं विशेष रुचिकर होती हैं। छात्र पूर्ण मनोयोग से शिक्षा प्राप्त करते हैं।
- रोजगार में संलग्न तथा रोजगार की ओर अग्रसर छात्र / व्यक्ति इस शैक्षिक तकनीकी के माध्यम से अपने इच्छित विषय की शिक्षा घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।
- स्मार्ट क्लास का व्यवहारिक महत्त्व है इसमें छात्र गोपनीय समस्याओं जैसे यौन रोग, गर्भ निरोध आदि का ज्ञान प्राप्त करने में थोड़ा सा भी हिचकिचाते नहीं हैं।
- इस प्रकार के कक्षाओं की उपयोगिता उन छात्रों को अधिक है जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं।