सामाजिक व्यवस्था के संचालन में मानव मूल्यों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। मानवीय मूल्य के अन्तर्गत सही आचरण, शान्ति, स्नेह, सत्य तथा अहिंसा को सम्मिलित किया गया है।
सही आचरण
मनुष्य अपनी इन्द्रियों की सहायता से ज्ञान प्राप्त करता है तथा मन के निर्देशन में कार्य करता है।
चेतन मन के प्रभाव में किया गया कार्य स्वार्थहीन होता है। तथा यह दूसरों के लिए भी अच्छा होता है। इसके अन्तर्गत जीवन कौशल के तीन पक्ष सम्मिलित होते हैं।
- स्वसहायता कौशल
- सामाजिक कौशल
- नीति शास्त्रिय कौशल
शान्ति
मानव मात्र में शान्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह उस विषय वस्तु को देखना बंद कर दे जो उसे सबसे अच्छी लगती है।
शान्ति मानवीय मूल्य के लिए कुछ अन्य सहायक मूल्य हैं –
- अवधान
- संतोष
- अनुशासन
- धैर्य
- वफ़ादारी
- अधिक न प्राप्त करने की इच्छा
- आशावादी
- आत्मनियंत्रण
सत्य
दृढ़ चरित्र के निर्माण हेतु सत्य बोलना अत्यन्त आवश्यक है। झूठ बोलने से अन्य लोगों को कष्ट पहुचता हैं यह एक प्रकार का सामाजिक कृत है।
सत्य मानव मूल्य के लिए सहायक मूल्य –
- चिंतन
- संकल्प
- विश्वास
- संश्लेषण
- तर्क
- निष्कपटता
- स्वबोध
स्नेह
स्नेह मानव मूल्य सामान्यतः मनुष्य में एक संवेग के रूप में पाया जाता है। यह व्यक्ति के अर्द्धचेतन मन से प्रभावित होता है।
स्नेह एक ऐसी प्रतिक्रिया है जो व्यक्ति के मन से स्वतः उत्पन्न होती है। स्नेह की शक्ति से लोग दूसरों की प्रसन्नता के लिए कामना करते हैं तथा उनके कुशल क्षेम में आनंद की अनुभूति करते हैं।
स्नेह दूसरों के भलाई के लिए सकारात्मक शर्त विहीन सम्मान है। इसमें भी मनुष्य का निजीस्वार्थ नहीं होता है।
स्नेह मानव मूल्य में सहायक अन्य मूल्य –
- स्वीकार करने का गुण
- देख – भाल करना
- दया – भाव
- समर्पण
- भक्ति भाव
- त्याग
- साझेदारी
- निष्कपट सहानुभूति
- करुणा
- कर्तव्यनिष्ठता
- स्वार्थहीनता
- धैर्य
अहिंसा
- हिंसा का अर्थ होता है किसी प्राणी को वचन से अथवा कर्म से कष्ट पहुंचाना।
- मानव मात्र के लिए किसी को चोट न पहुंचाना ये सर्वश्रेष्ठ गुण है।
- अहिंसा के अन्तर्गत प्रकृति से सामंजस्य करते हुए सभी जीवों के प्रति आदर का भाव प्रकट किया जाता है।
- अहिंसा को सार्वभौमिक स्नेह की संज्ञा दी जाती है।
- अहिंसा मानव मूल्य विकसित करने के हेतु मानव में सभी धर्मों व संस्कृतियों के प्रति सम्मान।
- उच्च नागरिकता, समानता, राष्ट्रीय बोध, सामाजिक न्याय, सम्पत्ति के प्रति आदर आदि गुणों को प्रदर्शित करना होता है।
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