HomeChild Development And Pedagogyआदत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार एवं शिक्षा में उपयोगिता

आदत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, प्रकार एवं शिक्षा में उपयोगिता

आदत का अर्थ 

आदत को अंग्रेजी में ‘Habit’ कहते हैं। यह लैटिन भाषा के Habitus / Habere शब्द से बना है। जिसका अर्थ होता है ‘प्राप्त करना’

जब व्यक्ति किसी कार्य को अपनी इच्छा से जान – बूझ कर बार – बार करता है। तब वह क्रिया कुछ समय बाद बिना प्रयास के अपने आप होने लगती है। इसी बार – बार दोहराये गये ऐच्छिक कार्यों के परिणाम को आदत कहते हैं।

अतः हम कह सकते हैं कि आदत एक प्रकार का अर्जित व्यवहार है जिसमे किसी क्रिया के करने का ढंग (तरीका) निहित होता है।

जैसे – खाना – पीना, उठना – बैठना, आदि एक विशेष आदत के अनुसार ही होते हैं।

आदत की परिभाषाएं 

विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने आदत की परिभाषा निम्न प्रकार दी है –

मनोवैज्ञानिक जेम्स ने आदत को मनुष्य का ‘दूसरा स्वभाव’ कहा है।

विलियम जेम्स के अनुसार, “आदत प्राणी के पूर्वकृत व्यवहारों की पुनरावृति है।”

गैरेट के अनुसार, “आदत उस व्यवहार को दिया गया नाम है जो प्रायः इतनी बार दोहराया जाता है कि स्वचालित हो जाता है।”

आदत की विशेषताएँ

आदत की महत्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

सरलता एवं सुगमता

जिन कार्यों को हम बार – बार दोहाराते हैं वे हमारे लिए सरल हो जाते हैं। और दुबारा करने में कठिनाई नहीं होती है।

जैसे – शुरुआत में टाइप करना कठिन होता है लेकिन जब अभ्यास करते – करते आदत पड़ जाती है तब हम बड़ी सुगमता से टाइप कर लेते हैं।

रोचकता

रोचकता के कारण आदतों का निर्माण होता है। अर्थात जिन कार्यों को करने की हमें आदत पड़ जाती है। उन कार्यों में हम रूचि लेने लगते हैं।

जैसे – प्रारम्भ में बालक स्कूल जाने में रूचि नहीं लेता है लेकिन धीरे – धीरे उसे स्कूल जाने में रूचि होने लगती है और वह बालक स्वयं रोज स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाता है।

एकरूपता  जिन कार्य को करने की आदत पड़ जाती है, वह कार्य बार – बार उसी तरह से किये जाते हैं अर्थात उनमे अंतर नहीं दिखाई देता है।

जैसे – चलने – फिरने, बातचीत करने या लिखने – पढ़ने में आदत पड़ जाने के कारण उनमे एकरूपता दिखाई देती है।

यथार्थता 

आदतों के ही कारण किसी कार्य को ठीक – ठीक अच्छे ढंग से किया जाता है। उसमे किसी प्रकार की गलती नहीं होती है।

शीघ्रता

जिन कार्यो को करने में हमारी आदत पड़ जाती है। ऐसे कार्यो को करने में हमें अधिक सोंच – विचार करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है और इसीलिए ये कार्य शीघ्र हो जाते हैं।

ध्यान – स्वातन्त्र्य 

आदतजन्य कार्यो के लिए चेतन ध्यान की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती है।

जैसे – हमें सायकिल चलाने में विशेष ध्यान देना पड़ता है, पर धीरे – धीरे आदत पड़ जाने पर हम सायकिल चलाते समय बातें भी करते जाते है।

आदतों के प्रकार 

साधारणतः आदतें दो प्रकार की होती हैं –

  1. अच्छी आदतें
  2. बुरी आदतें

अच्छी आदतें जीवन के लिए उपयोगी होती है और बुरी आदतें जीवन के लिए हानिकारक होती हैं।

बरनार्ड के अनुसार,

बरनार्ड के अनुसार आदतें तीन प्रकार की होती हैं जिनके नाम नीचे दिए गये हैं –

  1. शारीरिक
  2. मानसिक
  3. सांवेगिक

वैलेन्टाइन के अनुसार,

वैलेन्टाइन के अनुसार आदतों के निम्नलिखित भेद हो सकते हैं –

  1. यांत्रिक आदतें
  2. शारीरिक इच्छापूर्ति सम्बन्धी आदतें
  3. स्नायुमंडल सम्बन्धी आदतें
  4. भाषा – सम्बन्धी आदतें
  5. नैतिक भावना सम्बन्धी आदतें

आदत – निर्माण के नियम 

विलियम जेम्स ने आदत डालने के प्रमुख चार नियम बताये हैं –

  1. संकल्प की दृढ़ता (हमें किसी नए कार्य को दृढ़ता एवं निश्चय से आरम्भ करना चाहिए)
  2. क्रियाशीलता (संकल्प करने के बाद कार्य को प्रारम्भ करके तब तक जारी रखना चाहिए, जब तक कि भली भांति उसकी आदत नहीं पड़ जाती।)
  3. संलग्नता (जब तक नई आदत स्थायी न हो जाय, तब तक उसमें किसी प्रकार का अपवाद नहीं होने देना चाहिए।)
  4. अभ्यास (अभ्यास करने से आदतें दृढ़ हो जाती हैं)

बुरी आदतों को दूर करने की विधियाँ

बुरी आदतों को दूर करने में निम्नलिखित विधियाँ सहायक हो सकते हैं –

  • बुरी आदतों को दूर करने की लिए दृढ़ निश्चय करना आवश्यक है।
  • बुरी आदतों को धीरे – धीरे त्यागने का अभ्यास करना चाहिए।
  • गलत वातावरण के कारण ही बुरी आदत पड़ जाती है अतः बालक को अच्छे वातावरण में रखा जाए ताकि पुरानी आदतों को पुनरावृति का अवसर न मिले।
  • बुरी आदतों को दूर करने के लिए उसके प्रतिकूल अच्छी आदतें डालने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • बुरी आदतों को दूर करने के लिए दण्ड का प्रयोग भी किया जा सकता है। क्योकि दण्ड के डर से बालक गलत कार्य नहीं करते है।

आदतों का शिक्षा में उपयोगिता 

शैक्षिक दृष्टि से आदतों की निम्नलिखित उपयोगिता है –

  • आदतें चरित्र का निर्माण करती हैं इसलिए बालकों में उच्चकोटि के आदर्शों और विचारों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • शिक्षक को बालक में अच्छी आदतों के विकास का और बुरी आदतों को तोड़ने का प्रयत्न करना चाहिए।
  • आदत जीवन के अधिक महत्वपूर्ण कार्यों के लिए समय और मानसिक शक्ति की बचत करने की क्षमता उत्पन्न करती है।

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