HomeChild Development And Pedagogyथकान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, लक्षण, कारण एवं उपाय

थकान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, लक्षण, कारण एवं उपाय

थकान का अर्थ एवं परिभाषा 

थकान शब्द अंग्रेजी शब्द Fatigue का हिन्दी रूपान्तरण है। प्रत्येक व्यक्ति की कार्य करने की शक्ति एवं सामर्थ्य की एक निश्चित सीमा होती हैं। किसी व्यक्ति में जितनी शक्ति होती है उतनी देर तक ही वह कुशलतापूर्वक कार्य कर सकता है। किन्तु शक्ति के परे कार्य करने पर उसकी कार्यक्षमता में कमी आ जाती है, वह कार्य में अरुचि प्रकट करने लगता है और कभी – कभी कार्य करना बंद कर देता है। इस अवस्था को थकान कहते हैं।

थकान का अर्थ अच्छी तरह से समझने के लिए नीचे दिए गये परिभाषाओं पर ध्यान दीजिये –

जेम्स ड्रेवर के अनुसार, “पहले से करते चले आ रहे कार्य में खर्च की हुई शक्ति के कारण कार्य – कुशलता, क्षमता अथवा उत्पादन में कमी को थकान कहते हैं।”

बोरिंग के अनुसार, “लगातार कार्य करते रहने के परिणामस्वरूप कुशलता में कमी आ जाना थकान है।”

थकान के प्रकार 

थकान के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं जो निम्नलिखित हैं –

  • शारीरिक थकान
  • मानसिक थकान

शारीरिक थकान किसे कहते हैं ?

जब कोई व्यक्ति काफी समय तक एक ही कार्य को करता है तो एक समय ऐसा आता है की व्यक्ति का शरीर शिथिलता का अनुभव करने लगते हैं और कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं। इस प्रकार की अवस्था को शारीरिक थकान कहते हैं।

शारीरिक थकान के लक्षण 

शारीरिक थकान को निम्नलिखित लक्षणों के द्वारा पहचाना जा सकता है –

  • व्यक्ति बीच – बीच में कार्य करना बन्द कर देता है।
  • चेहरे पर फीकापन आ जाता है।
  • बैठने या खड़े होने का आसन बिगड़ने लगता है।
  • शरीर भारीपन महसूस होने लगता है।
  • व्यक्ति को बार – बार जम्हाइयाँ आने लगती है।
  • व्यक्ति का सम्पूर्ण शरीर असंतुलित दशा में हो जाता है।

मानसिक थकान किसे कहते हैं ?

जब कोई व्यक्ति लगातार अधिक देर तक एक ही प्रकार का मानसिक कार्य करता है। तो उसके कार्य – कुशलता, क्षमता आदि में कमी आ जाती है इस अवस्था को मानसिक थकान कहते हैं।

मानसिक थकान उत्पन्न होने पर कार्य की ओर ध्यान – केन्द्रित नहीं हो पाता और सीखने में पठार आ जाते हैं।

मानसिक थकान के लक्षण 

मानसिक थकान को निम्नलिखित लक्षणों द्वारा पहचाना जा सकता है –

  • त्रुटियों की मात्रा अधिक होने लगती है।
  • सिर में भारीपन का अनुभव होने लगता है।
  • मस्तिष्क की नसों में तनाव उत्पन्न होने लगता है।
  • व्यक्ति विषय को ठीक – ठीक समझ नहीं पाता है।
  • व्यक्ति को साधारण बातों पर भी क्रोध आ जाती है।
  • शारीरिक थकान की तरह मानसिक थकान की दशा में भी जम्भाई आने लगती है।

विद्द्यालय में थकान के कारण 

विद्द्यालय में थकान निम्न कारणों से होता है –

  • कक्षा की अनुपयुक्त भौतिक दशाओं के कारण बालक शीघ्र थकान का अनुभव करने लगता है। जैसे – कक्षा का अनियमित तापमान, बैठने के सीटों का अनुपयुक्त होना, कोलाहल वातावरण, कक्षा कार्य अधिक होना आदि।
  • शिक्षक का कठोर व्यवहार
  • शारीरिक अथवा मानसिक दण्ड का भय
  • बालकों के व्यक्तिगत कारण जैसे – भूख, शारीरिक रोग एवं कमजोरी, मानसिक दशा का अच्छा न होना, बौद्धिक दुर्बलता आदि।

थकान को दूर करने के उपाय 

थकान को दूर करने के सामान्य उपाय निम्नलिखित हैं –

  • संतुलित एवं पौष्टिक आहार।
  • शुद्ध वायु का सेवन।
  • कार्य करने की अवधि में कुछ समय के अन्तर पर बीच – बीच में विश्राम।
  • कार्य में परिवर्तन (नेपोलियन ने कहा है – “कार्य – परिवर्तन करना आराम करने के समान है।”)
  • रूचि का विकास करना।
  • मनोरंजन की व्यवस्था करना।
  • कार्य की अवधि को कम करना।
  • अपने क्षमता के अनुकूल कार्य करना।
  • कोलाहल रहित वातावरण।

कक्षा में बालकों को थकान से बचने के उपाय

कक्षा में बालकों को थकान से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए –

  •  बैठने का उचित ढंग।
  • कक्षा की उपयुक्त भौतिक दशाएँ।
  • दोपहर में पौष्टिक आहार की व्यवस्था।
  • उपयुक्त समय विभाजक चक्र।
  • अच्छी शिक्षण – विधियाँ।
  • शिक्षक का स्नेहयुक्त एवं हंसमुख स्वभाव होना।

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