अपनी राजनैतिक सत्ता को स्थायी बनाने के लिए ईस्ट इण्डिया कम्पनी का ध्यान भारतीयों की शिक्षा के प्रति आकर्षित हुआ। और इस कार्य के लिए मिशनरियों को कम्पनी ने शिक्षा संस्थाएँ खोलने के लिए प्रोत्साहित किया। अपनी राजकीय व व्यापारिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अनेक विदद्यालयों की स्थापना की।
इस विदद्यालय में बच्चों को लिखने – पढ़ने, गणित तथा ईसाई धर्म की शिक्षा दी जाती थी।
सन् 1781 में प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हैस्टिंग्स के द्वारा कलकत्ता मदरसा, सन् 1791 में जोनाथन डंकन के प्रयासों से बनारस संस्कृत कॉलेज तथा सन् 1800 में लार्ड वैलेजली के द्वारा कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की गई।
कलकत्ता मदरसा
बंगाल के तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने सन् 1781 में कलकत्ता मदरसा की स्थापना की। जिसका मुख्य उद्देश्य मुसलमानों के बच्चों को राज्य में उत्तरदायी और लाभदायक पदों के योग्य बनाना था।
इसमे अरबी भाषा के माध्यम से दर्शन, कुरान के धर्म सिद्धान्त, कानून, गणित तर्कशास्त्र तथा व्याकरण आदि की उच्च शिक्षा प्रदान की जाती थी।
मदरसे का शिक्षा काल 7–वर्ष का था तथा मदरसा प्रत्येक शुक्रवार को बंद रहता था। जल्द ही मदरसा लोकप्रिय हो गया और वहाँ कश्मीर, गुजरात तथा कर्नाटक के छात्र आकर पढ़ने लगे।
बनारस संस्कृत कॉलेज
सन् 1791 में बनारस राज्य के रेजीमेन्ट श्री जोनाथन डंकन ने बनारस संस्कृत कॉलेज की स्थापना की। इसकी स्थापना का उद्देश्य हिन्दू जनता का प्रेम प्राप्त करना, हिन्दू धर्म एवं परम्पराओं की रक्षा करना और न्यायाधीशों की सहायता के लिए योग्य हिंदुओं को शिक्षित करना था।
इस कॉलेज के पाठ्य विषयों में हिन्दू धार्मिक सिद्धान्त, तर्कशास्त्र, दर्शनशास्त्र, गणित, संगीत, इतिहास, कविता और कानून शामिल थे।
फोर्ड विलियम कॉलेज
लार्ड वैलेजली से सन् 1800 में कलकत्ता में फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की। इसमे कम्पनी के नवयुवक कर्मचारियों को हिन्दू एवं इस्लामी कानून, भारतीय इतिहास, अरबी – फारसी, संस्कृत बंगला आदि। अन्य भारतीय भाषाओं की शिक्षा दी जाती थी।
इस विदद्यालय में हिन्दू तथा मुसलमान बालक साथ – साथ पढ़ते हैं।
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