पूरा नाम | रामधारी सिंह ‘दिनकर’ |
जन्म | 23 सितम्बर सन् 1908 ई० |
जन्म स्थान | बिहार के मुँगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम |
पिता का नाम | श्री रवि सिंह |
माता का नाम | श्रीमती मनरूप देवी |
मृत्यु | 24 अप्रैल, सन् 1974 ई० |
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म 23 सितम्बर सन् 1908 ई० में बिहार के मुँगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम में एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री रवि सिंह तथा इनकी माता का नाम श्रीमती मनरूप देवी था।
दिनकर जी के अल्पायु में ही इनके पिता का देहान्त हो गया। इन्होंने पटना विश्वविद्यालय से बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके पश्चात् पारिवारिक कारणों से इच्छा होते हुए भी ये आगे नहीं पढ़ सके और नौकरी में लग गये। कुछ समय तक इन्होंने माध्यमिक विद्यालय मोकामाघाट में प्रधानाचार्य के पद पर कार्य किया।
तत्पश्चात् सन् 1934 ई० में बिहार के सरकारी विभाग में सब-रजिस्ट्रार की नौकरी की। इसके पश्चात् प्रचार विभाग में उपनिदेशक के पद पर स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे। सन् 195० ई० में इन्हें मुजफ्फरपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा सन् 1952 ई० में ये राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हुए।
इसके बाद इन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, भारत सरकार के गृहविभाग में हिन्दी सलाहकार और आकाशवाणी के निदेशक के रूप में कार्य किया। हिन्दी-साहित्य-गगन का यह दिनकर 24 अप्रैल, सन् 1974 ई० को हमेशा के लिए अस्त हो गया।
सम्मान और पुरस्कार
रामधारी सिंह दिनकर की रचना ‘कुरुक्षेत्र’ के लिए उन्हें काशी नागरी प्रचारिणी सभा, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से सम्मान मिला। सन् 1959 ई० में इन्हें ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया गया। इन्हें सन् 1968 ई० में राजस्थान विद्यापीठ ने साहित्य ‘चूड़ामणि’ से सम्मानित किया। सन् 1972 ई० में इनकी काव्य-रचना ‘उर्वशी’ पर इन्हें भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1999 ई० में भारत सरकार ने इनकी स्मृति में डाक टिकट जरी किया।