HomeChild Development And Pedagogyमुस्लिम कालीन शिक्षा | Muslim Kalin Shiksha

मुस्लिम कालीन शिक्षा | Muslim Kalin Shiksha

मुस्लिम कालीन शिक्षा के महत्वपूर्ण बिंदु 

  • मुस्लिम कालीन शिक्षा का सम्बन्ध इस्लाम धर्म दर्शन से हैं।
  • भारत में इस्लामी शिक्षा का प्रभाव मुस्लिम शासकों के साथ बढ़ता गया।
  • इस्लामी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य इस्लाम धर्म का प्रचार करना था।
  • गौण उद्देश्यों में इस्लामी संस्कृति का विस्तार करना, मुस्लिम शासन को सुदृढ़ करना तथा सांसारिक ऐश्वर्य की प्राप्ति करना था।
  • मस्लिम काल में औपचारिक शिक्षा का आरम्भ बालक के 4 वर्ष 4 माह 4 दिन के हो जाने पर विस्मिल्लाह खानी की रश्म से माना जाता था।
  • मुस्लिम काल में शिक्षा प्राथमिक तथा उच्च दो रूपों में विभक्त थी।
  • प्राथमिक शिक्षा के प्रमुख केंद्र के रूप में मकतब को जाना जाता था।
  • मकतब शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी भाषा के कुतुब शब्द से हुई है जिसका अर्थ है पढ़ना, लिखना या किताब।
  • मकतब में सभी धर्मों के बालकों को शिक्षा दी जाती थी।
  • प्राथमिक शिक्षा के अन्तर्गत अरबी, व्याकरण, गद्य साहित्य, गणित, पढ़ना, लिखना, पत्र व्यवहार के साथ साथ लैला मजनू की तथा युसुफ जुले खा की कहानियां तथा सिकन्दरनामा पढाया जाता था।
  • नैतिक भाषा प्रदान करने के लिए ‘गुलिस्तां’ ‘बोस्तां’ आदि पढाये जाते थे।
  • प्राथमिक शिक्षा के अन्य केंद्र के रूप में खानकाहें तथा दरगाहें (सिर्फ मुस्लिम धर्म के बालकों के लिए) थी।
  • उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में मदरसों को जाना जाता था।
  • मदरसा शब्द की उत्पत्ति ‘दरस’ शब्द से हुई है जिसका अर्थ है बोलना या भाषण करना
  • मदरसों में मुख्यतः लौकिक तथा धार्मिक विषय पढाये जाते थे।
  • लौकिक विषयों के अन्तर्गत इतिहास, भूगोल, तर्कशास्त्र, दर्शनशास्त्र, सरियत कानून, ज्योतिष आदि।
  • धार्मिक विषय के अंतर्गत कुरान और हदीस  पढाये जाते थे।
  • मकतब की वित्तीय व्यवस्था स्थानीय लोगों के द्वारा की जाती थी जबकि मदरसों की वित्तीय व्यवस्था शासकीय सहायता से संचालित होती थी।
  • इस्लामी शिक्षा के समय गुरु तथा शिष्य के सम्बन्ध अच्छे थे।
  • इस्लामी शिक्षा में छात्र जीवन विलासिता पूर्ण था।
  • मदरसों में छात्रों के लिए छात्रावास की व्यवस्था थी जिसमें तत्कालीन सभी भौतिक सुख सुविधाओं का समावेश किया गया था।
  • इस्लामी शिक्षा में साहित्य का अध्ययन करने वाला छात्र ‘कामिल’, धार्मिक विषयों का अध्ययन करने वाला छात्र ‘आलिम‘ तथा तर्क एवम् दर्शन का अध्ययन करने वाला छात्र ‘फाजिल’ कहलाता है।
  • मुस्लिम कालीन शिक्षा में कठोर शारीरिक दण्ड का प्रावधान किया गया है।

शिक्षण विधियाँ

  1. व्याख्यान विधि
  2. प्रश्नोत्तर विधि
  3. वाद – विवाद आदि।

शिक्षा का माध्यम 

अरबी, फ़ारसी भाषा

अनुशासन 

  1. दण्डात्मक
  2. कठोर शारीरिक दण्ड का आरंभ
  3. कक्षा नायक पद्धति का बहुतायत
  4. पर्दा पर्था के प्रभाव से महिला शिक्षा दयनीय थी।

इस्लामी शिक्षा के गुण 

  1. शिक्षा के सार्वभौमिक विषयों का संतुलन।
  2. छात्रों की सुख सुविधाओं का ध्यान।

इस्लामी शिक्षा के दोष 

  1. धर्म का प्रभाव/ धर्म आधारित शिक्षा।
  2. शिक्षा पर शासन का अधिकार।
  3. कठोर शारीरिक दण्ड का प्रावधान।
  4. महिला शिक्षा की उपेक्षा/ दयनीय।

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