1880 ई० में रिपन को भारत का गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।
1882 ई० में रिपन ने भारतीय शिक्षा के सन्दर्भ में एक कमीशन गठित किया जिसके अध्यक्ष विलियम हण्टर थे जिसके नाम पर इसे हण्टर कमीशन या प्रथम भारतीय शिक्षा आयोग कहा जाता है।
हण्टर कमीशन में 8 – भारतीय सदस्यों को सम्मलित किया गया।
हण्टर कमीशन का प्रमुख कार्य चार्ल्स वुड की शिक्षा प्रणाली के असफलता के कारणों का पता लगाना तथा भारतीय शिक्षा के सन्दर्भ में सुझाव प्रस्तुत करना था।
हण्टर कमीशन के प्रमुख कार्य
- प्राथमिक शिक्षा की समीक्षा करना।
- राज्य संस्थानों की समीक्षा करना।
- द्वितीयक शिक्षा स्तर की समीक्षा करना।
- प्राथमिक शिक्षा के सन्दर्भ में इसाई मिशनरियों के योगदान की समीक्षा करना।
- निजी क्षेत्रों के प्रति सरकार के लिए व्यवहार की समीक्षा करना।
हण्टर कमीशन के प्रमुख सुझाव
- प्राथमिक शिक्षा को जन शिक्षा के रूप में देखना चाहिए।
- प्राथमिक शिक्षा के द्वारा व्यक्ति में आत्मनिर्भरता के गुणों को विकसित करना चाहिए।
- प्राथमिक स्तर पर व्यक्ति की शिक्षा का माध्यम उसकी मातृभाषा होनी चाहिए।
- शिक्षकों की नियुक्ति जिलाधिकारी के द्वारा की जानी चाहिए।
- विद्यालय भवन तथा फर्नीचर सरल तथा किफायती होने चाहिए।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु, सामान्य विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए।
- पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण विषयों जैसे – कृषि, भौतिक विज्ञान, अंकगणित तथा मापन की स्थानीय विधियों को सम्मलित किया जाना चाहिए।
द्वितीयक शिक्षा को लेकर हण्टर कमीशन के सुझाव
हण्टर कमीशन ने द्वितीयक शिक्षा को लेकर प्रशासनिक और गुणवत्ता सम्बंधित सुझाव प्रस्तुत किये।
प्रशासनिक सुझाव
- सरकार को द्वितीयक शिक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से बचना चाहिए।
- द्वितीयक शिक्षा के प्रसार का जिम्मा निजी संस्थानों को सौंप देना चाहिए।
- द्वितीयक शिक्षा के लिए अनुदान राशि को बढ़ा देना चाहिए।
गुणवत्ता सुझाव
- आयोग के अनुसार शिक्षकों को प्रशिक्षित कर गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- कमीशन के अनुसार सम्पूर्ण कोर्स को कोर्स – A और कोर्स – B में विभाजित कर दिया जाए।
- पाठ्यक्रम – A के अन्तर्गत उन विद्यार्थियों को शामिल किया जाए जिन्हें उच्च शिक्षा हेतु विश्वविद्यालयों में प्रवेश करना है।
- पाठ्यक्रम – B में व्यावहारिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- कमीशन में हाईस्कूल स्तर पर शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा को उपयुक्त माना।
सम्पूर्ण—–bal vikas and pedagogy—–पढ़ें