वर्णमाला किसे है?
वर्णो के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते है। हिन्दी वर्णमाला दो भागों में बटा होता है –
- स्वर
- व्यंजन
स्वर
जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अवरोध के होता है, उन्हें स्वर कहते है। इनके उच्चारण में किसी दूसरे वर्ण की सहायता नहीं ली जाती है ये सभी स्वतन्त्र होते है।
हिन्दी में स्वर वर्णों की कुल संख्या 11 होती हैजो निम्न प्रकार है –
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
स्वरों के भेद / प्रकार
श्री भोलानाथ तिवारी के अनुसार , स्वर मात्राओं के दृष्टि से स्वरों के तीन भेद किये जा सकते है-
- ह्रस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है। जिनकी उत्पत्ति दूसरे स्वरों से नहीं होती है, उन्हें ह्रस्व स्वर या एकमात्रिक स्वर कहते है।
इनकी कुल संख्या 4 है जो निम्न प्रकार है –
अ, इ, उ, ऋ।
दीर्घ स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से अधिक समय या दो मात्रिक का समय लगताहै, उन्हें दीर्घ स्वर या दो मात्रिक स्वर कहते है।
इनकी कुल संख्या 7 है जो निम्न प्रकारहै-
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
प्लूत स्वर :- जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है, उन्हें प्लूत स्वर कहते है।
जैसे – ओइम,हे राम ! आदि।
अयोगवाह
अयोगवाह की संख्या दो है जो निम्न प्रकार है –
अनुस्वार :- इनकी ध्वनि नाक से निकलती है। (जैसे – अंगूर, अंगद आदि)
विसर्ग :- इसका उच्चारण ‘ह’ की तरह होता है। (जैसे -अतः, स्वतः आदि)
महत्वपूर्ण नोट्स :- अनुस्वार और विसर्ग न स्वर होते है और न ही व्यंजन होते है लेकिन ये स्वरों की सहायता से बोले जाते है।
जीभ के भाग के आधार पर स्वरो के भेद
अग्र | इ ई ए ऐ |
मध्य | अ |
पश्च | आ उ ऊ ओ औ |
ओठ के आकृति के आधार पर स्वरो के भेद
वृत्ताकार (गोलाकार) | उ ऊ ओ औ |
अवृत्ताकार (अगोलाकार) | अ आ इ ई ए ऐ ऋ |
मुख आकृति के आधार पर स्वरो के भेद
विवृत्त (खुलना) | आ |
अर्द्धवृत्त | अ ऐ औ |
संवृत्त | इ ई उ ऊ ऋ |
अर्द्धसंवृत्त (बंद) | ए ओ |
व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण में स्वरों की सहायता ली जाती है, उन्हें व्यंजन कहते है। हिन्दी भाषा में व्यंजनों की कुल संख्या 33 है।
व्यंजन को उच्चारण के दृष्टि से चार भागों में बाँटा गया है। जो निम्न प्रकार है-
1. स्पर्श व्यंजन
2. अन्तस्थ व्यंजन
3. ऊष्म व्यंजन
4. संयुक्त व्यंजन
चलिए अब हम लोग एक-एक करके समझने की कोशिश करते है।
स्पर्श व्यंजन
स्पर्श का अर्थ होता है ‘छूना’ अर्थात जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय जिह्वा मुख के किसी भाग (जैसे- कंठ,तालु,मूर्धा,दाँत अथवा ओठ) को स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते है। इन्हें पाँच वर्गों में बाँटा गया है इनकी कुल संख्या 25 है।
इन्हे हम लोग सारणी के माध्यम से समझेंगे जो नीचे गई है –
स्थान | वर्ग | व्यंजन | अनुनासिक |
कंठ | क वर्ग | क, ख, ग, घ, | ङ |
तालु | च वर्ग | च, छ, ज, झ, | ञ |
मूर्धा | ट वर्ग | ट, ठ, ड, ढ, | ण |
दाँत | त वर्ग | त, थ, द, ध, | न |
ओठ | प वर्ग | प, फ, ब, भ, | म |
स्पर्श व्यंजन = 25
अन्तस्थ व्यंजन
अन्तः का अर्थ होता है ‘अन्दर’ या ‘भीतर’। अर्थात जिन वर्णों का उच्चारण करते समय व्यंजन मुख के अन्दर ही रह जाता है, उन्हें अन्तस्थ व्यंजन कहते है। इनकी संख्या चार (य,र,ल,व) है।
अन्तस्थ व्यंजन को ही ‘यण’ व्यंजन के नाम से जाना जाता है।
ऊष्म व्यंजन
ऊष्म का अर्थ होता है ‘गर्म’। अर्थात जिन वर्णों के उच्चारण में अन्दर से निकलने वाली हवा मुख के विभिन्न भागों से टकराये और स्वांस में गर्मी पैदा करे, उसे ऊष्म व्यंजन कहते है। इनकी भी कुल संख्या चार है- श, ष, स, ह।
ऊष्म व्यंजन को ही संघर्षी व्यंजन के नाम से जाना है।
संयुक्त व्यंजन
दो व्यंजनों के मेल को संयुक्त व्यंजन कहते है। इनकी भी कुल संख्या चार है जो निम्न है –
क्ष = क् + ष
त्र = त् + र
ज्ञ = ज् + ञ
श्र = श् + र
व्यंजन ध्वनियों का वर्गीकरण
स्वरयंत्र के आधार पर
स्वर यंत्र के आधार पर व्यंजन ध्वनिओं को दो भागों में बाँटा गया है-
1.अघोष
2.घोष
अघोष:- जिन वर्णों के उच्चारण में झंकार नहीं होता है, उन्हें अघोष कहते है। जो निम्न प्रकार है-
अघोष | प्रत्येक वर्ग का 1,2 + श,ष,स |
घोष:- जिन वर्णों के उच्चारण में झंकार होता है,उन्हें घोष कहते है।
घोष | प्रत्येक वर्ग का 3,4,5 + य, र, ल, व, ज़, फ़,+ ड़, ढ़ |
वायु वेग आधार पर
वायु वेग आधार पर व्यंजन ध्वनिओं को दो भागों में बाँटा गया है –
1.अल्पप्राण
2.महाप्राण
अल्पप्राण :- जिन वर्णो ने उच्चारण में फेफड़े से कम वायु बाहर निकलती है, उसे अल्पप्राण कहते है।
अल्पप्राण | प्रत्येक वर्ग का 1, 3, 5 + य, र, ल, व |
महाप्राण :- जिन वर्णो के उच्चारण में फेफ ड़े से अधिक वायु बाहर निकलती है, उसे महाप्राण कहते है।
महाप्राण | प्रत्येक वर्ग का 2, 4 +श, ष, स, ह |
अभ्यन्तर के आधार पर व्यंजनो के भेद
स्पर्शी (16 ) | क, ट, त, प वर्ग के प्रत्येक चार वर्ण |
स्पर्शसंघर्षी(4) | च, छ, ज, झ |
संघर्षी(4) | श, ष, स, ह |
संघर्षहीन(2) | य, व (अर्दध स्वर) |
हिन्दी व्याकरण …