भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय | Pranab Mukherjee Biography In Hindi

प्रणव मुखर्जी का जीवन परिचय

पूरा नामश्री प्रणव कुमार मुखर्जी
जन्म11 दिसम्बर 1935 ई०
जन्म-स्थानमिराती, वीरभूम जिला (पश्चिम बंगाल), भारत
माता का नामराजलक्ष्मी मुखर्जी
पिता का नामकामदा किंकर मुखर्जी
पत्नी का नामसुभ्रा मुखर्जी
बच्चे2 बेटे, 1 बेटी
राजनैतिक पार्टीभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
राष्ट्रीयताभारतीय
पेशाराजनेता
मृत्यु31 अगस्त 2020 ई०

भारत के तेरहवें राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी जी ने 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया। भारत रत्न से सम्मानित प्रणव मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 ई० को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती नामक गाँव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

इनकी माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी था जो एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे तथा वीरभूम जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे।

प्रणव मुखर्जी की प्रारंभिक पढ़ाई लिखाई अपने गृहनगर के स्थानीय स्कूल में हुई तथा आगे की पढ़ाई के लिए इन्होनें वीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज में प्रवेश लिया जो उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था।

कलकत्ता विश्वविद्यालय से इन्होनें इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् इन्होनें पोस्ट और टेलीग्राफ के कोलकाता कार्यालय में प्रवर लिपिक का काम किया।

इसके पश्चात् 1963 में पश्चिम बंगाल के विद्यानगर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बनें तथा इस नौकरी के साथ ही वे ‘देशेर डाक’ नामक पत्र से जुड़े और पत्रकार भी बन गए।

प्रणव मुखर्जी का विवाह बाईस वर्ष की आयु में शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुआ। इनके दो बेटे और एक बेटी अर्थात कुल तीन बच्चे हैं।

प्रणव मुखर्जी जी के मस्तिष्क में खून जम गया था। इनको 10 अगस्त 2020 को गम्भीर स्थिति में अस्पताल में भर्ती कराया गया तथा उसी दिन मस्तिष्क में जमें खून को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गयी। बाद में इनके फेफेड़े में संक्रमण हो गया। दिल्ली के अस्पताल में स्वास्थ्य ख़राब रहने की वजह से 31 अगस्त 2020 ई० को इनका निधन हो गया।

राजनीतिक जीवन

प्रणव मुखर्जी जी भारत के आर्थिक मामलों, संसदीय कार्य, बुनियादी सुविधाएँ व सुरक्षा समिति में वरिष्ठ नेता रह चुके हैं। इन्होनें विश्व व्यापार संघठन व भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण क्षेत्र में भी कार्य किया था जिसका अनुभव इन्हें भारत की राजनैतिक सफ़र में बहुत काम आया।

वर्ष 1969 में प्रणव मुखर्जी जी ने कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने राजनैतिक सफ़र की शुरुआत की। इसके पश्चात् ये वर्ष 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से इस पद के लिए चुने गए। ये वर्ष 1973 में औद्योगिक विकास विभाग के केन्द्रीय उपमंत्री के रूप में मंत्रिमण्डल में शामिल हुए।

इन्होनें वर्ष 1982 से 1984 ई० तक कैबिनेट के कई पदों के लिए चुने जाते रहे। वर्ष 1982 में ये भारत के वित्त मंत्री बने तथा अपने कार्यकाल में इन्होनें सरकार की आर्थिक स्थिति में बहुत सुधार किया।

वर्ष 1984 में यूरोमनी पत्रिका के एक सर्वेक्षण के अनुसार, विश्व के पांच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक के रूप में इनका मूल्यांकन किया गया। वर्ष 1991 में, पी०वी० नरसिंह राव सरकार में प्रणव मुखर्जी का राजनीतिक जीवन फिर से प्रज्वलित हो उठा तथा इन्हें योजना आयोग बनाया गया। वर्ष 1999 में ये केन्द्रीय चुनाव आयोग के अध्यक्ष बने।

वर्ष 2004 में, प्रणव मुखर्जी जी को पश्चिम बंगाल के जंगीपुर ( लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र ) से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने पर लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। इन्हें 24 अक्टूबर 2006 को भारत के विदेश मंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। जुलाई 2012 को राष्ट्रपति चुनाव में प्रणव मुखर्जी जी को 69 फीसदी वोट मिले, जबकि पीए संगमा को 31 फीसदी वोट मिले। इस प्रकार प्रणव मुखर्जी जी ने पीए संगमा को हराकर राष्ट्रपति के पद को सुशोभित किया। ये 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 ई० तक भारत के राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत रहे।

सम्मान और उपलब्धियां

  1. वर्ष 1984 में, इन्हें यूरोमनी पत्रिका द्वारा विश्व के पांच सर्वश्रेष्ठ वित्तमंत्री में से एक का दर्जा दिया गया।
  2. वर्ष 2008 में, इन्हें भारत सरकार द्वारा इनके योगदान के लिए दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘पद्म विभूषण’ से अलंकृत किया गया।
  3. वर्ष 2011 में, वाल्वरहैम्प्टन विश्वविद्यालय ने इन्हें डॉक्टर आफ लेटर्स डिग्री से सम्मानित किया।
  4. वर्ष 2013 में, इन्हें बांग्लादेश सरकार की ओर से वहां का दूसरा सबसे बड़ा अवार्ड ‘बांग्लादेश लिबरेशन वार ओनर’ से सम्मानित क्या गया।
  5. 26 जनवरी 2019 को प्रणव मुखर्जी को भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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