न्यूटन ने अपनी पुस्तक फिलासफी नेचुरेलिस प्रिन्सिपिया मैथेमेटिका (प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत) में बाह्य बलों के प्रभाव में पिण्ड की गणितीय सिद्धांत में तीन – महत्वपूर्ण नियम प्रस्तुत किये।
न्यूटन का प्रथम नियम
जब कोई वस्तु विरामावस्था में होता है तो वह विरामावस्था में ही रहता है जब कोई वस्तु गतिमान अवस्था में होता है तो वह गतिमान अवस्था में ही रहता है तब तक जब तक की उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाये।
उदाहरण –
- पेड़ हिलाने पर पत्ते और फल गिर जाते हैं।
- चलती हुई वाहन के अचानक रुकने पर उसमें बैठे हुए यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं।
- रुकी हुई मोटर या रेलगाड़ी के अचानक चलने पर उसमें बैठे यात्री पीछे की ओर झुक जाते हैं।
- कम्बल को हाथ से पकड़कर डंडे से पीटने पर धूल के कण झड़कर नीचे गिर जाते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु –
न्यूटन के प्रथम नियम से बल का परिभाषा मिलता हैं।
न्यूटन के प्रथम नियम को गैलीलियो का नियम या जड़त्व का नियम कहते हैं।
न्यूटन का द्वितीय नियम
किसी पिण्ड के संवेग परिवर्तन की दर उस पर आरोपित बल के समानुपाती होती है तथा इस दर की दिशा पिण्ड पर आरोपित बल के अनुदिश होती है।
अर्थात किसी वस्तु पर लगाये गये बल, उसके त्वरण और द्रव्यमान के गुणनफल के बराबर होता हैं।
बल = द्रव्यमान X त्वरण
उदाहरण –
- किसी वस्तु पर किसी पिण्ड पर पड़ने से वह वस्तु नीचे दब जाता हो या पिण्ड के विपरीत हो जाता है।
- गेंद पकड़ते समय खिलाड़ी अपने हाथों को पीछे की ओर खींच लेता है।
न्यूटन का तीसरा नियम
प्रत्येक क्रिया के बराबर एक विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया होती है इसलिए तृतीय नियम को क्रिया – प्रतिक्रिया का नियम कहते हैं।
उदाहरण –
बन्दूक से गोली छोड़ते समय पीछे की ओर धक्का लगना।
उंचाई से कूदने पर चोट लगना।
राकेट का उड़ना।
वायुआन का उड़ना।
चाबुक चलाने पर नाव आगे बढ़ती है।
संवेग संरक्षण का सिद्धांत
यदि कणों के किसी समूह या निकाय पर कोई बाह्य बल न लग रहा हो तो उस निकाय का कुछ संवेग नियत रहता है।
अर्थात टक्कर से पहले और टक्कर के बाद का संवेग बराबर होता है।