- प्रोटीन एक कार्बनिक यौगिक है।
- प्रोटीन की खोज मूल्डर नामक वैज्ञानिक किये थे।
- प्रोटीन तथा वसा का पाचन मुख से प्रारम्भ नहीं होता है।
- प्रोटीन का पूर्ण अवशोषण छोटी आंत में होता है।
- प्रोटीन ग्रीक भाषा का शब्द है।
- प्रोटीन शब्द की उत्पत्ति ‘प्रोटियस’ से हुआ है।
- प्रोटीन का मुख्य कार्य ‘नए कोशिकाओं का निर्माण’ करना है।
- एक वयस्क स्त्री – पुरुष को अपने आहार से प्रतिदिन 60 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
- शरीर में सबसे अधिक मात्रा में कोलेजन प्रोटीन पाया जाता है। कोलेजन प्रोटीन त्वचा में पाया जाता है।
- प्रोटीन शरीर को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य नहीं करता है किन्तु जब शरीर में कार्बोहाइड्रेट तथा वसा की कमी हो जाती है तो प्रोटीन भी अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा देने लगती है।
- एक ग्राम प्रोटीन शरीर में में ऑक्सीकृत होकर 4.2 कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है।
- शरीर में प्रथम स्थान पर जल पाया जाता है तो दूसरे स्थान पर प्रोटीन पाया जाता है। इसलिए प्रोटीन को ‘शरीर का आधारशिला’ कहते हैं।
- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा से भिन्न होता है क्योंकि कार्बोहाइड्रेट और वसा में C, H, O पाये जाते हैं। जबकि प्रोटीन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व N होता है। इसलिए N को प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थ कहते हैं।
- प्रोटीन का सबसे सरलतम इकाई ‘अमीनो अम्ल’ होता है। अमीनो अम्ल 22 प्रकार के होते हैं जिसके दो समूह होते हैं।
- अमीनो समूह (NH2) – यह स्वाद में क्षारीय होता है।
- कार्बोक्सिल समूह (COOH) – यह स्वाद में अम्लीय होता है।
- अर्थात प्रोटीन स्वाद में ‘उदासीन होता है।
- प्रोटीन की कमी से बच्चों में तीन प्रकार के रोग होते हैं –
- क्वाशियोरकर (1 से 5 वर्ष के बच्चों को)
- मैरास्मस (1 वर्ष से कम के बच्चों को)
- मैरास्मिक क्वाशियोरकर
- 22 अमीनों अम्ल में से 20 का वर्णन किया गया है। जिसमें से 10 आवश्यक होते हैं तथा 10 अनावश्यक होते हैं।
- ‘ट्रिप्टोफैन’ सबसे अधिक उपयोगी एवं सबसे आवश्यक अमीनों अम्ल है इसलिए इसे ‘जीवन आवश्यक अमीनों अम्ल’ कहते हैं।
- 10 अनावश्यक अमीनों अम्ल में से 5 ऐसे अनावश्यक अमीनों अम्ल होते हैं जिनका उपयोग शरीर में अल्प मात्रा में होता है। किन्तु 5 ऐसे अनावश्यक अमीनों अम्ल होते हैं जिनका उपयोग शरीर में बिल्कुल नहीं होता है।
प्रोटीन के प्रकार
प्रोटीन को मुख्यतः दो आधार पर बांटा गया है –
गुणवत्ता के आधार पर
- पूर्ण प्रोटीन
- आंशिक प्रोटीन
- अपूर्ण प्रोटीन
भौतिक गुण एवं घुलनशीलता के आधार पर
- साधारण प्रोटीन
- संयुक्त प्रोटीन
- व्युत्पन्न प्रोटीन
गुणवत्ता के आधार पर प्रोटीन के प्रकार
पूर्ण प्रोटीन
जिस भोज्य पदार्थ में सभी प्रकार के आवश्यक अमीनों अम्ल (10) पाये जाते हैं उसे पूर्ण प्रोटीन कहते हैं।
अर्थात प्राणी भोज्य पदार्थ को पूर्ण प्रोटीन कहते हैं।
पूर्ण प्रोटीन में 10 आवश्यक अमीनों अम्ल पाये जाते हैं।
आंशिक प्रोटीन
जिस भोज्य पदार्थ में कुछ आवश्यक अमीनों अम्लों का अभाव होता है उसे आंशिक प्रोटीन कहते हैं।
अर्थात वनस्पति भोज्य पदार्थ को आंशिक प्रोटीन कहते हैं।
जैसे – दाल, अनाज, सोयाबीन आदि।
अपूर्ण प्रोटीन
जिस भोज्य पदार्थ में अवाश्यक अमीनो अम्लों का पूर्णतः अभाव होता है उसे अपूर्ण प्रोटीन कहते हैं।
जैसे – कंदमूल, फल – फूल, शाक – सब्जी आदि।
भौतिक गुण एवं घुलनशीलता के आधार पर प्रोटीन के प्रकार
साधारण प्रोटीन
जिस प्रोटीन का निर्माण केवल अमीनों अम्ल द्वारा होता है उसे साधारण प्रोटीन कहते हैं।
जब साधारण प्रोटीन का जल अपघटन होता हैं तो यह अपने सबसे सरलतम इकाई अमीनो अम्ल में टूट जाता है। जैसे –
- थ्रोम्बिन
- प्रोथ्रोम्बिन
- फाइब्रिनोजन
- फाइब्रिन
- ग्लोव्यूलिन
- ग्लोविन
उपरोक्त प्रोटीन रक्त में पाये जाते हैं।
- एल्व्यूमिन
- ओवेग्लो व्यूलिन
- ओवल व्यूमिन
उपरोक्त प्रोटीन अंडे के पीले भाग में पाये जाते हैं।
- ग्लूटेनिन
- ग्लाइडिन
- ल्योकोसीन
उपरोक्त प्रोटीन गेहूं में पाया जाता है।
- लेक्ट एल्व्यूमीन
- कसीन
उपरोक्त प्रोटीन दूध में पाया जाता है।
- एक्टीनमायोसीन
- मायोग्लोबिन
उपरोक्त प्रोटीन मांसपेशी में पाया जाता है।
अन्य
- जीन – मक्का में
- आरजेनिन – चावल में
- ओसीन – अस्थि में
- कोलेजन – त्वचा में
- हिपैरिन – यकृत में
- ऐरेचिन – मूंगफली में
- किरेटिन – बाल, रोम, नाखून, खुर
- प्रोलेमीन्स – दाल
- ग्लूटेलिन्स – अनाज
- ग्लाइसिनिन – सोयाबीन
- एक्सेलसिन – सूखा मेवा
संयुक्त प्रोटीन
जिस प्रोटीन का निर्माण साधारण प्रोटीन तथा अन्य पोषक तत्वों के संयुक्त होने से होता है उसे संयुक्त प्रोटीन कहते हैं।
अर्थात साधारण प्रोटीन + पोषक तत्व = संयुक्त प्रोटीन
जब संयुक्त प्रोटीन का जल अपघटन होता है तो यह अपने सरलतम इकाई अमीनो अम्ल तथा अन्य जिन पोषक तत्व के द्वारा बना होता है में टूट जाता है।
जैसे – हीम + ग्लोविन = हीमोग्लोविन
यह प्रोटीन रक्त में पाया जाता है।
व्युत्पन्न प्रोटीन
जिस प्रोटीन का निर्माण साधारण प्रोटीन तथा संयुक्त प्रोटीन से होता है उसे व्युत्पन्न प्रोटीन कहते हैं।
अर्थात साधारण प्रोटीन + संयुक्त प्रोटीन = व्युत्पन्न प्रोटीन
जैसे – पेप्टोन, पेप्टाइड, पालीपेप्टाइड
भोज्य पदार्थों में प्रोटीन की मात्रा
भोज्य पदार्थ का नाम | प्रोटीन की मात्रा ग्राम/100 ग्राम |
मछली | 21.8 |
मांस | 19.8 |
यकृत | 19.3 |
अंडा | 13.3 |
भैंस का दूध | 4.3 |
गाय का दूध | 3.2 |
माँ का दूध | 1.1 |
दही | 3.2 |
खोया | 20.1 |
पनीर | 25 |
मसूर की दाल | 25.1 |
अरहर की दाल | 24 |
उरद की दाल | 24 |
चने की दाल | 20.5 |
गेहूं | 12 |
बाजरा | 11.6 |
मक्का | 11.1 |
सूजी, मैदा | 10.2 |
चावल | 7.6 |
शलजम की पत्तियां | 2.9 |
मूली की पत्तियां | 2.7 |
मूंगफली | 31.5 |
काजू | 21.2 |
बादाम | 18.3 |
अखरोट | 15.6 |
सूखा नारियल | 6.8 |
ताजा नारियल | 4.2 |
मूंग की दाल | 24.5 |
सोयाबीन | 43.2 |
लोभिया | 24.3 |
राजमा | 23 |
काला चना | 24 |
सूखी मटर | 19.7 |