शिक्षा सम्बन्धी सरकारी प्रस्ताव 1913
- जार्ज पंचम दिसम्बर 1911 में भारत भ्रमण के लिए आता है।
- जार्ज पंचम अपने दिल्ली दरबार में प्राथमिक शिक्षा को समृद्धशाली करने के लिए 50 लाख रुपये अतिरिक्त देने की घोषणा करता है।
- 6 फरवरी 1912 को कलकत्ता विश्वविद्यालय में जार्ज पंचम कहता है कि “हमें भारतीय शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन की आवश्यकता है जिससे की हम अपने उद्योग व कृषि के लिए तथा अन्य प्रकार के व्यवसायों को सम्भालने के लिए योग्य राजभक्त निर्भीक तथा कुशल नागरिक निकाल सके।”
- 21 फरवरी 1913 को भारतीय शिक्षा सम्बन्धी सरकारी प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया जिससे प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा के सम्बन्ध में प्रावधान किये गये।
प्राथमिक शिक्षा के सन्दर्भ में प्रावधान
- निम्न प्राथमिक विद्यालयों का विस्तार किया जाए तथा बच्चों को अंकगणित के साथ – साथ कला, मानचित्रक, प्राकृतिक अध्ययन तथा शारीरिक शिक्षा भी पढाई जाए।
- मकतब तथा अन्य प्राथमिक पाठशालाओं को उदार सहायता दी जाए।
- प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक अध्यापक पर छात्रों की संख्या 30 – 40 रखी जाए।
- मैट्रिक पास करने के बाद अध्यापकों को एक वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया।
- अवकाश के समय में अध्यापकों के लिए पुनर्बोधन कार्यक्रम चलाये जाए।
माध्यमिक शिक्षा के सन्दर्भ में प्रावधान
- महिलाओं की माध्यमिक स्तर की शिक्षा के लिए अतिरिक्त प्रयास किये जाने चाहिए।
- महिला अध्यापकों की संख्या बढ़ानी चाहिए।
- राजकीय संस्थाओं की स्थापना भविष्य में बंद कर देनी चाहिए।
उच्च शिक्षा के सन्दर्भ में प्रावधान
- विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।
- विश्वविद्यालयों तथा हाईस्कूल स्तर पर अलग – अलग क्रियाकलाप कराये जाने चाहिए।
- विश्वविद्यालयों से हाईस्कूल स्तर के विद्यालयों की मान्यता देने का अधिकार वापस ले लेना चाहिए।