हैजा रोग कैसे फैलता है ?
हैजा रोग एक संक्रामक रोग है। इस रोग से प्रत्येक वर्ष हजारों व्यक्तियों की मृत्यु होती है। हैजा रोग प्रायः गर्मी या बरसात के मौसम में जून, जुलाई तथा अगस्त में फैलता है। यह रोग मुख्यतः जल से फैलता है। यही कारण है कि भारत में असम तथा गंगा के डेल्टा आदि प्रदेशों में अधिक फैलता है।
हैजा रोग ‘कोमा बैसिलस’ नामक रोगाणु के द्वारा फैलता है। इसे ‘विब्रिओ कालेरा’ के नाम से भी जाना जाता है। यह रोगाणु कोमा (,) के आकार का होता है इसलिए यह ‘कोमा बैसिलस के नाम से ही प्रसिद्ध है।
हैजा रोग के लक्षण
हैजा रोग में दस्त और वमन खूब होते हैं। दस्त पानी जैसे पतले और सफ़ेद रंग के होते हैं। इनका रूप चावल के माड़ जैसा होता है। रोगी को प्यास भी बहुत लगती है।
साधारणतः हैजे का प्रकोप एक दिन से तीन दिन तक चलता है। कभी – कभी यह रोग अचानक इतनी तीव्रता से उभड़ता है कि 24 – घण्टे के अन्दर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसलिए थोड़ा सा ही अंदेशा होते ही तुरन्त किसी योग्य चिकित्सक से चिकित्सा करवानी चाहिए।
हैजा रोग से बचाव के उपाय
हैजा रोग से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए –
- हैजे के टीके नियमित रूप से अवश्य लगवाने चाहिए।
- यदि कोई भी व्यक्ति इस रोग का शिकार हो जाय तो उसे शीघ्र ही सबसे अलग रखने की व्यवस्था करनी चाहिए।
- रोगी के मल तथा वमन को जलाशयों के पास भूलकर भी नहीं फेंकना चाहिए।
- हैजा रोग से बचने के लिए मक्खियों से बचना आवश्यक है। अतः मक्खियों को समाप्त करने अथवा उनसे बचने के लिए हर सम्भव उपाय करना चाहिए।
हैजा रोग का उपचार
हैजा रोग का उपचार किसी योग्य चिकित्सक की देख – रेख मे तुरन्त प्रारम्भ कर देना चाहिए तथा रोगी को पूर्ण विश्राम देना चाहिए।
रोगी को प्याज या पोदीना का पानी, अमृतधारा आदि जैसी दवाएँ देनी चाहिए। उसे थोड़ा – थोड़ा पानी या चूसने के लिए बर्फ देते रहना चाहिए ताकि रोगी मे पानी कमी न हो पाये। पीने के लिए थोड़ा सा पोटैशियम परमैंगनेट का घोल भी देना लाभदायक होता है।
अधिक भयानक अवस्था में रोगी को संक्रामक रोगों के चिकित्सालय में अवश्य भर्ती करवा देना चाहिए।
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