चंद्रयान 2
Chandrayaan-2 एक Indian Satellite है। जिसे ISRO (Indian Space Research Organisation ) के द्वारा विकसित किया गया है। इसका निर्माण चन्द्रमा की सतह पर पानी की मात्रा पता करने, वहाँ के मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त करने, खनिजों एवं रासायनिक तत्वों की जानकारी प्राप्त करने, तथा वहाँ के वातावरण का अध्ययन करने के उद्देश्य से भेजा गया है।
इसके पहले ISRO के द्वारा 2009 में Chandrayaan-1 चन्द्रमा की परिक्रमा करने के लिए भेजा गया था जिसे चाँद की सतह पर किसी कारण के वश नहीं उतारा जा सका।Chandrayaan 2 को भारत देश के द्वारा आज 22 जुलाई 2019 को समय 2-बजकर 43-मिनट पर सफलतापूर्वक लांच कर दिया गया है। इसे GSLV Mk3 ( Geocynchronous Satellite Lanch Vehicle Mark3) संस्करण-3 यान के द्वारा भेजा गया है। Chandrayaan 2 में तीन प्रकार के मॉड्यूलआर्बिटर, लैंडर और रोबर है Chandrayaan 2 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का प्रयास किया जाएगा।
चलिए अब हम लोग Chandrayaan-2 के बारे में विस्तार से समझते हैं –
मिशन | चंद्र कक्षयान – एक वर्ष |
मिशनकीअवधि | (विक्रम) लैंडर – 15 दिन (चन्द्रमा का एक दिन ) (प्रज्ञान) रोबर – 15 दिन (चन्द्रमा का एक दिन ) |
संचालक | ISRO |
Chandrayaan 2 लांच वजन | कुल वजन – 3877 किलोग्राम |
पेलोड | कक्षयान – 2379 किलोग्राम |
विक्रम लैंडर का वजन | 1471 किलोग्राम |
प्रज्ञान रोबर का वजन | 27 किलोग्राम |
ऊर्जा | कक्षयान – 1 – किलोवाट, विक्रम लैंडर – 650 वाट ,प्रज्ञान रोबर – 50 वाट |
लांच की तिथि | 22 जुलाई 2019 को समय 2-बजकर 43-मिनट |
प्रक्षेपण रॉकेट का नाम | GSLV Mk3 |
प्रक्षेपण स्थल | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
Candrayaan-2 की बनावट एवं उसके कार्य
आर्बिटर
आर्बिटर का वजन 2379 किलो तथा इसके मिशन की अवधि एक वर्ष है। यह आर्बिटर चन्द्रमा की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करेगा।इसका कार्य चन्द्रमा के बाह्यमण्डल का विस्तृत अध्ययन करना, चन्द्रमा की सतह का निरिक्षण करना तथा खनिजों का पता लगाना है।
आर्बिटर को पॉँच पेलोड के साथ भेजा गया है जिसके द्वारा चन्द्रमा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जायेगी जैसे कि वहाँ के अस्तित्व एवं विकास का पता लगाने की पूरी कोशिश जायेगी। वहाँ के वायुमण्डल के बारे में जानकारी प्राप्त की जायेगी तथा वहाँ के सतह को स्कैन करके देखा जाएगा।
लैंडर
लैंडर का वजन 1471 किलो तथा इसके मिशन की अवधि 15 – दिन है। लैंडर, आर्बिटर से जुड़ा होता है जिसे आर्बिटर से अलग करके चन्द्रमा की सतह पर उतारा जायेगा। लैंडर को चन्द्रमा की सतह पर धीरे – धीरे 2-मिनट प्रति सेकण्ड की गति से नीचे उतारा जाएगा।
इसका कार्य चन्द्रमा की सतह के ताप का आकलन करना, भूकम्प का अध्ययन का करना, चन्द्रमा की झीलों को मापना आदि है।
रोबर
रोबर का वजन 27 किलो तथा इसके मिशन की अवधि 15 – दिन है। यह सौर ऊर्जा के द्वारा संचालित किया जाएगा। चन्द्रमा की सतह पर चलने के लिए रोबर में कुल 6-पहिये का प्रयोग किया गया हैं। जो मिट्टी एवं चट्टानों को एकत्रित करके उनका रसायनिक विश्लेषण करेगा और प्राप्त जानकारी को ऊपर आर्बिटर के पास भेज देगा जहाँ से इस जानकारी को पृथ्वी के स्टेशन पर भेज दिया जाएगा।
Chandrayaan-2 के क्या कार्य हैं
- चन्द्रमा की सतह पर उपस्थित पानी की मात्रा का पता लगाना एवं उसका अध्ययन करना।
- वहाँ के मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
- वहाँ के खनिजों एवं रासायनिक तत्वों की जानकारी प्राप्त करना।
- वहाँ के वायुमण्डल के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
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अपना कीमती समय देने के लिए धन्यबाद।