पुरस्कार
बालक के सकारात्मक या वांछित व्यवहार के बाद जो विषयवस्तु प्रदान की जाती है, उसे पुरस्कार कहतें हैं। पुरस्कार से बालकों में अच्छी आदतों एवं मनोवृत्तियों का विकास होता है।
किसी बालक को अच्छे कार्य या गुण के लिए पुरस्कार प्रदान किया जाता है तो अन्य बालक भी ऐसा करने के लिए प्रेरित होते हैं।
पुरस्कार देने के लाभ
- अच्छे कार्यों के लिए पुरस्कार प्राप्त करने की इच्छा से बालकों में प्रतियोगिता का विकास होता है।
- पुरस्कार प्राप्त करने से बालकों में अपने शक्तियों के प्रति विश्वास जागृत होता है।
- पुरस्कार प्राप्त करने से आनंद एवं प्रेरणा की अनुभूति होती है।
- पुरस्कार प्राप्ति के लिए बालक नियमित रूप से कार्य या व्यवहार करता है।
पुरस्कार देते समय सावधानियां
- बालक के किसी एक अवसर पर किये गए व्यवहार के आधार पर पुरस्कार नहीं देना चाहिए।
- पुरस्कार व्यक्तिगत न देकर सामूहिक देना चाहिए।
- बालकों को जिन गुणों या कार्यों के लिए पुरस्कार प्रदान किये जाए उनसे सभी को अवगत कराना चाहिए।
- पुरस्कार में बहुमूल्य वस्तुओं को नहीं देना चाहिए इससे छात्रों में लालच उत्पन्न होती है।
दण्ड
बालक के अनैतिक व गलत व्यवहार के प्रति जो प्रतिक्रिया की जाती है, उसे दण्ड कहा जाता है। विद्यालयी व्यवस्था में दण्ड का प्रयोग अनुशासन व्यवस्था को बनाये रखने के लिए किया जाता है।
उदाहरण – जैसे एक सर्जन का चाकू सड़े हुए हिस्से को काटने के लिए आवश्यक होता है। ठीक उसी प्रकार से बालक की दुर्बलताओं को दूर करने के लिए दण्ड देना आवश्यक होता है।
दण्ड देने से पहले सावधानियां
- बालक को दण्ड देने से पहले निम्नलिखित सावधानियां रखनी चाहिए।
- कारणों का पता लगाना
- दण्ड से समय बालक की गलतियों का अनुभव कराया जाए।
- दण्ड निष्पक्ष रूप से दिया जाए।
- दण्ड देने से पहले यदि सम्भव हो तो बालक के अभिभावकों से बात करनी चाहिए।
दण्ड के प्रकार
- शारीरिक दण्ड
- मानसिक दण्ड
- सामाजिक दण्ड
- आर्थिक दण्ड
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