पावलव रूस के निवासी और प्रसिद्ध शरीर वैज्ञानिक थे। इन्होने अपना प्रयोग कुत्ते पर किया था इनका पूरा नाम Ivan Petrovich Pavlo था। 1904 मे इन्हे पाचन क्रिया पर कार्य करने के लिए नोवेल पुरस्कार दिया गया था।
रूसी मनोवैज्ञानिक पावलव ने कुत्ते पर प्रयोग करके अधिगम के अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त / अनुकूलित अनुबंध सिद्धान्त अथवा Classical सिद्धान्त का प्रतिपादन किया।
Ivan Petrovich Pavlo के अनुसार, प्रत्येक प्राणी कुछ जन्मजात मूलप्रवृतियों प्रतिक्रियाओ या अनुक्रियाओ को रखता है। तथा ये मूलप्रवृत्तियाँ प्रतिक्रियाएँ या अनुक्रियाएं अपने स्वाभाविक उद्दीपक के उपस्थिति होने पर प्रकट होती है।
Ivan Petrovich Pavlo ने बताया कि जब किसी अस्वाभाविक उद्दीपक को किसी स्वाभाविक उदीपक के साथ बार – बार दोहराया जाता है तो अस्वाभाविक उद्दीपक का स्वाभाविक अनुक्रिया के साथ संबंध जुड़ जाता है। तथा बाद मे केवल अस्वाभाविक उद्दीपक के प्रस्तुत होने पर भी प्राणी स्वाभाविक प्रतिक्रिया देता है। इस सिद्धान्त को ही अनुकूलित अनुबंध कहते हैं।
स्वाभाविक उद्दीपक (भोजन) – स्वाभाविक प्रतिक्रिया (लार)
अस्वाभाविक (घण्टी) + स्वाभाविक (भोजन) – स्वाभाविक प्रतिक्रिया (लार)
अस्वाभाविक उद्दीपक (घण्टी) – स्वाभाविक प्रतिक्रिया (लार)
अनुबंधित कि दशाएँ
- अस्वाभाविक उद्दीपक स्वाभाविक उद्दीपक से ज्यादा प्रभावशाली न हो।
- अस्वाभाविक उद्दीपक और स्वाभाविक उद्दीपक के प्रस्तुत होने का अंतराल बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए।
- यह संबंध बार – बार प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
- अनुबंध के समय कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए।
सिद्धान्त का शैक्षिक महत्व
- यह सिद्धान्त सीखने की स्वाभाविक विधि को बताता है।
- यह सिद्धान्त समूह के निर्माण मे महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- इस सिद्धान्त के द्वारा भय संबंधी रोगों का उपचार किया जाता है।
यदि आपको यह नोट्स पसंद आया हो तो आप share button पर क्लिक करके अपने दोस्तों को भी share करे ताकि उन्हे भी सहायता मिल सके
सम्पूर्ण—–bal vikas and pedagogy—–पढ़ें
इसे भी पढ़ें –
वायु, जल, ध्वनि और मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं ?